Delhi News: दिल्ली सरकार क्लाउड सीडिंग के जरिये दिल्ली में नकली बारिश कराने जा रहा है. इसके लिए सरकार IIT कानपूर से बातचीत कर रही है. वहीं इसको लेकर SC से भी बातचीत की जाएगी.
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Delhi News: दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. इस समय हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग सांस लेने की समस्या, आंखों में जलन, गले में खराश, सर्दी-जुखाम सहित कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं. इसको लेकर सरकार लगातार कुछ न कुछ कर रही है. प्रदूषण कम करने के लिए ग्रैप-4 नियम लागू कर दिया गया है. स्कूलों को बंद करने से लेकर कमर्शियल वाहनों की एंट्री तक पर रोक लगा दी है.
वहीं इतने सब से प्रदूषण कंट्रोल नहीं हुआ थो दिल्ली सरकार अब ऑड-ईवन स्कीम लागू करने की योजना बना रही है. वहीं दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग के जरिये आर्टिफिशियल बारिश कराने की तैयारी में जुट गई है. वहीं इसको लेकर अभी अंतिम फैसला लेना बाकी है.
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अगर क्लाउड सीडिंग की जाती है तो भारत में ऐसा पहली बार होगा कि कहीं आर्टिफिशियल बारिश की गई है. प्रदूषण की वजह से दिल्ली इसका पहला उदाहरण बनेगा. फिलहाल दिल्ली सरकार कलाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है. इसको लेकर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक की है. इस दौरन वैज्ञानिकों ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के जरिये नकली बारिश तभी संभव है जब वातावरण में बादल हों या नमी हो.
जानकारी के अनुसार 20 या 21 नवंबर के आसपास ऐसे हालात बनने की संभावना है. इसको लेकर गुरुवार को वैज्ञानिकों की टीम एक प्रस्ताव दिल्ली सरकार के सामने पेश करने वाले हैं. इस प्रस्ताव पर अमल करने से पहले इसे सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा जाएगा.
कैसे करती है काम
बता दें कि क्लाउड सीडिंग के जरिये आर्टिफिशियल बारिश करवाने के लिए IIT कानपुर कई साल से काम कर रही थी. इसमें साल 2017 में मिली थी. वहीं जून 2023 में आईआईटी कानपुर को इस तकनीक के जरिए आर्टिफिशियल बारिश कराने में कामयाबी मिली थी. इसके लिए IIT कानपुर की टीम ने बादलों पर एक केमिकल पाउडर छिड़का, जिससे बादलों में पानी की बूंदें बनने लगी और कुछ देर के बाद आसपास के इलाकों में बारिश शुरू हो गई. ऐसा करने के लिए कानपुर की टीम ने सेना का सहयोग लिया था.
क्लाउड सीडिंग 1940 के दौर से काम कर रहा है. इसको जरिये मौसम में बदलाव किया जा सकता है. इस प्रक्रिया को करने के लिए छोटे-छोटे विमानों को बादलों के बीच से गुजारा जाता है. इस दौरान विमान सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और क्लोराइड छोड़ जाते हैं. इससे बादलों में पानी की बूंदें जम जाती हैं. यही पानी की बूंदें फिर बारिश बनकर जमीन पर गिरती हैं. आर्टिफिशियल बारिश सामान्य बारिश की तुलना में ज्यादा तेज होती है.