नई दिल्ली : देशभर में दीपावली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, लेकिन इन सबके बीच दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर पटाखे जलाने, बेचने और भंडारण पर रोक लगाने वाला सरकारी आदेश भी पातिशबाजी के धुएं में उड़ता दिखाई दिया. प्रदूषण और स्वास्थ्य पर इसके विपरीत असर की चिंता किए बगैर दिल्ली के लोगों ने जमकर आतिशबाजी की.


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प्रतिबंध के बावजूद वेस्ट दिल्ली के तमाम इलाकों में पिछली बार की तरह इस बार भी बच्चे के लेकर बड़ों तक ने जमकर पटाखे फोड़े. फुलझड़ियां जलाईं.लोग सड़कों पर हाथ में लंबी पाइप लेकर उसमें बारूद भर उसे फोड़ते दिखे.



इस बार राजधानी दिल्ली में पटाखे के इस्तेमाल पर मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. आरोप सिद्ध होने पर जुर्माना और 6 महीने तक की सजा का प्रावधान है. इसके बावजूद दिवाली की शाम पुलिस या सरकार का कोई नुमाइंदा नहीं दिखा. अधिकतर इलाकों में पटाखों पर प्रतिबंध का असर पूरी तरह से बेअसर दिखा और लोग दिवाली पर जश्न में मशगूल दिखे. 


साफ है कि दिल्ली की हवा जो पहले से ही खराब हो चुकी थी. पटाखों के धुएं से वह अब हवा और भी खराब हो जाएगी और प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाएगा. वेस्ट दिल्ली के उत्तम नगर, जनकपुरी, विकासनगर, शिव विहार, मटियाला बिंदापुर, जनकपुरी, टैगोर गार्डन सहित तमाम इलाकों में लोगों ने मन भरके पटाखे चलाए.


प्रतिबंध के बाद दिल्ली पुलिस भी दिवाली से पहले तक काफी सख्त लिख रही थी. कई इलाकों में रेड कर भारी मात्रा में पटाखे बरामद करने के साथ-साथ इसे बेचने वाले को भी गिरफ्तार किया गया था. बावजूद इसके बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में लोगों ने पटाखे आखिर कहां से खरीदे. निश्चित तौर पर पुलिस के साथ-साथ प्रशासन पर भी गंभीर सवाल खड़ा होता है और उससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर ऐसे कैसे रुकेगा प्रदूषण और राजधानी के लोगों को कहां से स्वच्छ हवा  मिलेगी।