Delhi News: मौत के बाद युवक ने दी सात लोगों को जिंदगी, 1 घंटे में तीन राज्यों में अंगदान से बची जान
Delhi News: 18 साल के लड़के की मौत के बाद उसके परिजनों ने अंगदान करने का फैसला किया. ट्रैफिक पुलिस की मदद से डॉक्टरों ने एक घंटे में तीन राज्यों में पांच अलग-अलग अंगों को पहुंचाकर कई लोगों को जीवनदान दिया.
Delhi News: 18 साल के अथर्व की दिल्ली के द्वारका में दर्दनाक सड़क हादसे में मौत हो गई. एक्सीडेंट के बाद एक हफ्ते तक उसका अस्पताल में इलाज चला, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. लेकिन मौत के बाद भी अथर्व 7 लोगों को नई जिंदगी देकर गया. दरअसल, अथर्व की मौत के बाद डॉक्टर ने उसके परिवारवालों को अंगदान करने की सलाह दी. ऐसे मुश्किल वक्त में परिवार ने काफी सोच-विचारकर अंग डोनेट करने का फैसला किया, जिसकी वजह से 7 लोगों को नई जिंदगी मिल गई.
क्या है पूरा मामला
दिल्ली के द्वारका में चल रहे एक फेस्टिवल में शामिल होने के बाद 7 मार्च की रात अथर्व नाम का 18 साल का लड़का अपने घर वापस जा रहा था. इस दौरान उत्तम नगर के पास बाइक का संतुलन बिगड़ने से वह हादसे का शिकार हो गया. हेलमेट नहीं पहनने की वजह से उसे गंभीर चोट आईं. स्थानीय लोगों की मदद से अथर्व को इलाज के लिए द्वारका के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 12 मार्च को डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.अथर्व की मौत के बाद डॉक्टरों ने उसके परिजनों को अंगदान की सलाह दी, जिससे वो भी सहमत हो गए.
ये भी पढ़ें- Delhi News: दिल्ली के इस इलाके में जल्द बनकर तैयार होगा जच्चा बच्चा केंद्र, मेयर ने किया शिलान्यास
परिजनों की मंजूरी मिलने के बाद पूरी रात डॉक्टरों की एक टीम ने NOTTO (National Organ & Tissue Transplant Organisation) से संपर्क किया, जो भारत में दान किए हुए अंगों को जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाने की व्यवस्था करता है. रातों-रात दिल्ली के आकाश अस्पताल को ओखला में बने फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर से जोड़ा गया, जहां एक मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट के इंतजार में था. यूपी के वैशाली में मैक्स अस्पताल में एक मरीज किडनी के इंतजार में था. वहीं हरियाणा के गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में मरीज को फेफड़े ट्रांसप्लांट की जरूरत थी. आधी रात में अथर्व के सभी अंगों को निकाल कर सुरक्षित करने का काम किया गया और साथ ही साथ सभी अस्पतालों के लिए अलग-अलग दिशाओं में एंबुलेंस को दौड़ाया गया. जिस-जिस अस्पताल को अंग चाहिए थे वहां के डॉक्टर द्वारका पहुंचे, ताकि एंबुलेंस में वह खुद मौजूद रहें और अंगों को सुरक्षित मरीज तक पहुंचाया जा सके. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मदद से डॉक्टरों ने एक घंटे में तीन राज्यों में पांच अलग-अलग अंगों को पहुंचाकर मिसाल कायम की. वहीं अथर्व की मां ने कहा कि अंगदान करके मेरा बेटा शहीद हुआ है.