नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सभी नागरिकों को इलाज मिलना चाहिए, फिर चाहे वो कहीं के भी रहने वाले क्यों न हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में बाहर से आने वालों को सरकारी अस्पताल से मना नहीं कर सकते, अस्पताल उन्हें स्थानीय वोटर आई कार्ड देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी बिहार के रहने एक शख्स की याचिका की सुनवाई के दौरान की.


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याचिका में दिल्ली से बाहर वालों के साथ भेदभाव का आरोप


याचिकाकर्ता का कहना था कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित LNJP अस्पताल में सिर्फ स्थानीय निवासियों को ही मुफ्त MRI टेस्ट कराने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, बाहर के लोगों के लिए ये सुविधा उपलब्ध नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अशोक अग्रवाल ने दलील कि अस्पताल दिल्ली से बाहर के लोगों के लिए भेदभावपूर्ण रवैया रखता है. इसलिए उनके मुवक्किल के घुटने के MRI के लिए अस्पताल की ओर से 15 जुलाई, 2024 की तारीख दी गई, जबकि दिल्ली का पहचान पत्र रखने वालों को जल्द इलाज की तारीख मिल जाती है.


याचिकाकर्ता के मुताबिक डॉक्टरों ने उन्हें कहा कि फ्री MRI की सुविधा सिर्फ दिल्ली का वोटर आईडी कार्ड रखने वालों के लिए है. ऐसे में दिल्ली से बाहर का निवासी होने के चलते अपने खर्चे पर ये टेस्ट करवाना होगा.


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सरकारी अस्पताल सभी के लिए खुले


आज ये मामला जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच के सामने लगा. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल इलाज के लिए स्थानीय वोटर आईडी कार्ड देने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. एम्स हो या दिल्ली का कोई और अस्पताल, बाहर से आने वाले लोगों को इलाज से नहीं मना किया जा सकता. इसी कोर्ट का पुराना फैसला भी है, जो साफ कहता है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज सबको उपलब्ध होना चाहिए, फिर चाहे वो कहीं का भी रहने वाला हो.


दिल्ली सरकार की सफाई


सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने इस बात से इंकार किया कि अस्पताल में दिल्ली से बाहर के लोगों के साथ कोई भेदभाव होता है.  दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील सत्यकाम ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके कि इस मामले में याचिकाकर्ता से स्थानीय वोटर आईडी कार्ड उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था. MRI टेस्ट करवाने की तारीख उपलब्धता के मुताबिक दी गई है. उन्होंने आश्वस्त किया कि याचिकाकर्ता का घुटने का MRI अस्तपाल में ही कराया जाएगा.


बहरहाल कोर्ट ने दिल्ली सरकार की इस दलील को रिकॉर्ड पर लेते हुए 26 दिसंबर को सुबह 11 बजे याचिकाकर्ता का MRI टेस्ट करवाने को कहा.