Delhi News: गठबंधन के लिए INDIA नाम का प्रयोग होने पर HC में याचिका दर्ज, विपक्षी दलों से मांगा जवाब
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Delhi News: गठबंधन के लिए INDIA नाम का प्रयोग होने पर HC में याचिका दर्ज, विपक्षी दलों से मांगा जवाब

दिल्ली HC ने मंगलवार को कांग्रेस, TMC और द्रमुक समेत कई विपक्षी दलों को नए गठबंधन के लिए संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के उपयोग के खिलाफ जनहित याचिका पर एक हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और

Delhi News: गठबंधन के लिए INDIA नाम का प्रयोग होने पर HC में याचिका दर्ज, विपक्षी दलों से मांगा जवाब

Delhi News: दिल्ली HC ने मंगलवार को कांग्रेस, TMC और द्रमुक समेत कई विपक्षी दलों को नए गठबंधन के लिए संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के उपयोग के खिलाफ जनहित याचिका पर एक हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह की खंडपीठ ने व्यवसायी गिरीश भारद्वाज की जनहित याचिका की सुनवाई को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया. जिसका उद्देश्य 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले चरण से पहले समाधान करना था.

गिरीश भारद्वाज ने पिछले साल अगस्त में यह याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिका पर 10 अप्रैल को सुनवाई करने और इसका निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा. दिल्ली हाईकोर्ट के अनुसार, विपक्षी दलों और केंद्र सरकार को एक हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा. साथ ही कहा है कि याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का यह आखिरी मौका होगा. 

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गिरीश भारद्वाज ने अपनी जनहित याचिका में कहा था, विपक्षी दल अपने स्वार्थी कार्य के लिए 'इंडिया' नाम का उपयोग कर रहे हैं. पार्टियों ने केवल 2024 में लोकसभा चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए गठबंधन का नाम 'इंडिया' रखा है. यह शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष वोटिंग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. प्रतीक और नाम अधिनियम, 1950 की धारा 2 और 3 के तहत 'इंडिया' नाम का उपयोग निषिद्ध है.

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 2023 (अगस्त) में 26 विपक्षी दलों और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था. हालांकि, चुनाव आयोग ने विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था. आयोग ने कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता है. चुनाव आयोग ने अपने जवाब में केरल हाईकोर्ट के एक ऐसी ही मामले के निर्णय का हवाला दिया था, जिसमें यह माना गया कि राजनीतिक गठबंधनों के कामकाज को विनियमित करने के लिए संवैधानिक बॉडी (निकाय) को अनिवार्य करने वाला कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है.