Delhi Kalkaji Temple News: दिल्ली के शक्तिपीठ कालकाजी मंदिर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए मशहूर है. ऐसा माना गया है कि कालकाजी मंदिर जब माता सती अपने पिता से रुष्ट होकर खुद को अग्नि समाधि ले ली थी, तब उनके मृत्यु के उपरांत भगवान शिव शंकर ने कई युगों तक उन्हें अपने हाथों में लेकर घूम रहे थे. तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के कई टुकड़े किए थे, जिसका एक टुकड़ा कालकाजी मंदिर में गिरा था. जहां मां कालका का पीठ बनाया गया तब से भक्त आज तक माता कालका का पूजन करते आ रहे हैं.


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कालकाजी मंदिर का इतिहास (Delhi Kalkaji Temple History)
कालकाजी मंदिर में नवरात्र के समय विशेष पूजा की जाती है. इस नवरात्र पर माता के दर्शन करने के लिए लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं और इस दौरान मंदिर परिसर में काफी भीड़ भी देखा जाता है. आज माता कालका के इतिहास के बारे में कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि आदिशक्ति ब्राह्म भगवती कालका का यह पीठ अरावली पर्वत श्रृंखला के सूर्यकुट नामक पर्वत पर स्थित है. ऐसी मान्यता है कि इस क्षेत्र में जब महाप्रक्रमी असुरों का विध्वंस बढ़ा और देवताओं को जब परेशानी होने लगी, तब उन्होंने ब्रह्माजी की शरण ली. ब्रह्माजी ने असुरों से देवताओं को बचाने के लिए देवताओं से कहा कि अरावली पर्वत श्रृंखला के सूर्यकुंड पर्वत पर माता भगवती की पूजा करें. कई वर्षों तक तपस्या करने के बाद मां कौशिकी का अवतरण हुआ. तब कई असुरों का वध हुआ, लेकिन एक असुर जो रक्त बीज था. उसका वध करना मां कौशिकी के लिए संभव नहीं था. क्योंकि रक्त बीज को यह वरदान मिला था कि उसकी रक्त जहां-जहां गिरेगी वहां-वहां से रक्तबीज पैदा होगा. इसके बाद मां कालका का अवतरण हुआ और मां ने उसे असुर रक्तबीज का वध किया. तब देवताओं ने मां कालका की पूजा अर्चना की तब से माता कालका का पूजा किया जा रहा है.


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महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने की थी मां कालका की पूजा (Delhi Kalkaji Temple Mahabharat Connection)
मंदिर के पुजारी ने बताया कि अनादि काल से माता कालका की पूजा चलती आ रही है. कालका माता की सेवा में लगे सभी पुजारी ऋषियों की संतान है और उन्हें महर्षि भार्गवा का वंशज कहा जाता है. मंदिर के सभी पुजारी कई पीढ़ी से माता कालका की पूजा और सेवा करते आए हैं. उनके पुजारी परिवार के अलावा कोई भी माता कालका की पूजा नहीं करता. महाभारत काल के दौरान भगवान कृष्ण ने भी माता कालका की पूजा की थी और आज यह शक्तिपीठ देश विदेश सभी जगह प्रचलित है. जो भी दिल्ली आता है तो एक बार माता कालका के दर्शन करने जरूर पहुंचता है. अब तक जितने भी श्रद्धालु यहां आते हैं उनका मानना है कि माता कालका उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है और समय-समय पर माता कालका के भवन को भव्य अलग-अलग पुष्पों के द्वारा सजाया जाता है. इस दीपावली पर माता कालका के मंदिर को पुष्पों के द्वारा सुसज्जित किया जाएगा. लाखों दीपक जलाए जाएंगे. इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमर जाता है. इस दौरान भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर के वॉलिंटियर्स भक्तों की सुविधा के लिए दिन रात खड़े रहते हैं. दिल्ली पुलिस की भी सुरक्षा की दृष्टि से व्यवस्था देखी जाती है. माता कालका की विशेष आरती वंदना की जाती है जो पूरे देश में प्रचलित है.


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वहीं मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि इस दीपावली माता कालका के पूरे दरबार को दीपों से सजाया जाएगा. इलेक्ट्रिक लाइट भी लगेंगे. इस बार 29 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन देवी धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इसके बाद दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार 31 अक्टूबर को दीपावली है, जिसका शुभ मुहूर्त दिन में 1 बजकर दो मिनट से लेकर 3:23 तक है और रात्रि में 7:35 से 10:13 तक रहेगा. इस दौरान की गई पूजा शुभ रहेगा. 


INPUT: HARI KISHOR SAH