Delhi News: टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के हत्याकांड में साकेत कोर्ट में जिरह 7 नवंबर के लिए टल गई है. वहीं कोर्ट ने दोषियों को अपनी संपत्ति और आय के बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए और वक्त दिया है.
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Delhi News: टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में दोषियों की सजा पर साकेत कोर्ट में जिरह 7 नवंबर के लिए टल गई है. कोर्ट ने दोषियों को अपनी संपत्ति और आय के बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए और वक्त दिया. 18 अक्टूबर को इस केस में पांच लोगों को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने ये हलफनामा दायर करने को कहा था ताकि उसके आधार पर जुर्माने की राशि तय की जा सके. इस बीच दिल्ली पुलिस ने दोषियों की संपत्ति और जेल में उनके बर्ताव को लेकर हलफनामा दाखिल किया है.
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कोर्ट ने दिल्ली सरकार के गृह मंत्रालय के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से कहा कि वो दोषियों के बारे में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए जल्द प्रोबेशन ऑफिसर नियुक्त करें. इस रिपोर्ट में बताना है कि क्या दोषियों के सुधार की कोई गुजांइश है या वो समाज में रहने लायक है. जेल में उनके व्यवहार, घरवालों/रिश्तेदारों से मिलकर उनकी पृष्ठभूमि की जानकारी देंगे.
30 सितंबर 2008 की रात करीब साढ़े तीन बजे सौम्या जब ऑफिस से ड्यूटी कर अपनी कार से घर लौट रही थीं तब गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गयी थी. पुलिस ने दावा किया था कि इस हत्या का मकसद लूटपाट था. हत्या के इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जो 2009 से हिरासत में हैं. 18 अक्टूबर को दिए फैसले में कोर्ट ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को हत्या और मकोका के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया था. वहीं पांचवे दोषी अजय सेठी पर बेईमानी से चोरी की संपत्ति हासिल करने, मकोका प्रावधानों के तहत संगठित अपराध को बढ़ावा और आय प्राप्त करने की साजिश रचने के लिए दोषी माना था.
आज दोषियों ने पुलिस पर इस मामले में उनके घरवालों के साथ दुर्व्यवहार करने और इस केस में गलत फंसाने का आरोप लगाया. अजय कुमार नाम के दोषी ने कोर्ट को कहा कि उसे घर से उठाया गया. लीगल एंड लॉयर ने उससे कोई मुलाकत नहीं की उनके 15 साल नाजायज तरीके से जेल में गुजार दी.
उन्होंने कहा कि हमें कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी, लेकिन कोर्ट के सामने भी उसे अपनी बात रखने नहीं दी गई. दूसरे दोषी ने यही शिकायत करते हुए कहा कि हमारे खिलाफ FSL रिपोर्ट जैसा कोई सबूत नहीं था, लेकिन इसके बावजूद कोर्ट ने हमारी बात नहीं सुनी. जज ने टोकते हुए कहा कि आपके वकील पहले ही बहस कर चुके हैं. आप यहां बोल रहे हैं, वो सब उनको बोलना चाहिए था.