Delhi News: दिल्ली महिला आयोग के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली नगर निगम ने हाल ही में एक आदेश जारी कर उसके द्वारा संचालित सार्वजनिक शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. आयोग ने 6 अप्रैल 2023 को दरियागंज के जीबी पंत अस्पताल के गेट नंबर 8 के सामने दिल्ली नगर निगम के एक महिला शौचालय का निरीक्षण किया और शौचालय के अंदर खुले में एसिड से भरा 50 लीटर का डिब्बा मिला. पूछताछ करने पर आयोग को सफाई कर्मचारी के साथ-साथ श्री राम ग्रामीण विकास संस्थान (जिसे एमसीडी द्वारा शौचालय परिसर के रखरखाव और संचालन के लिए अनुबंध दिया गया है) के एक कर्मचारी द्वारा सूचित किया गया था कि वे शौचालयों को साफ करने के लिए हर महीने एसिड खरीदते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आयोग नगर निगम के शौचालय में इतनी बड़ी मात्रा में खुले में तेजाब पाकर हैरान रह गया. यह गैरकानूनी और बेहद खतरनाक है, क्योंकि कोई भी इस तेजाब को आसानी से ले जाकर एसिड हमले के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता था. आयोग ने तेजाब को दिल्ली पुलिस द्वारा तुरंत जब्त करवाया और दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को शौचालयों में तेजाब की मौजूदगी के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए समन जारी किया.


ये भी पढ़ें: Delhi News: यमुना नदी में डूबने से एक और युवक की मौत, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप


सिटी जोन के वरिष्ठ अधिकारी आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और एक लिखित उत्तर दिया, जिसमें कहा गया कि एमसीडी द्वारा सार्वजनिक शौचालयों की सफाई के लिए एसिड के उपयोग को रोकने के लिए कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि एमसीडी द्वारा अनुबंध समझौते में उन पर लगाए गए नियमों और शर्तों के अनुसार शौचालयों की सफाई (एजेंसी द्वारा) की जाती है. इसके अलावा उन्होंने शौचालय के रखरखाव और संचालन के लिए एमसीडी और एजेंसी (राम ग्रामीण विकास संस्थान) के बीच अनुबंध समझौते की एक प्रति प्रदान की.


अनुबंध समझौते के अवलोकन पर आयोग ने पाया कि उस पर 17 जुलाई 2017 को हस्ताक्षर किए गए थे और 40 शौचालय परिसरों का रखरखाव एजेंसी को सौंप दिया गया था. आयोग को प्रस्तुत एमसीडी का जवाब भी अनुबंध समझौते (एमसीडी और एजेंसी के बीच) के नियम और शर्तों के नियम 36 की ओर इशारा करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर एजेंसी द्वारा साप्ताहिक रूप से शौचालयों को साफ करने के लिए एसिड का उपयोग नहीं किया जाता है तो एमसीडी द्वारा एजेंसी पर प्रतिदिन 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.


आयोग ने मामले को एमसीडी के साथ उठाया और दिल्ली नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर मामले में स्पष्टीकरण और कार्रवाई रिपोर्ट मांग. एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में 16 मई 2023 को आयोग के सामने पेश हुए और उन्होंने बताया कि वर्तमान में 308 सामुदायिक शौचालयों/सार्वजनिक शौचालयों को निजी एजेंसियों को आउटसोर्स किया गया है, जिनका एमसीडी के साथ समान अनुबंध है, जिसमें कहा गया है कि साप्ताहिक रूप से शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब का प्रयोग नहीं करने दिल्ली नगर निगम एजेंसी पर प्रति दिन 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. पूछताछ करने पर पता चला कि अनुबंध दस्तावेज को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सदन ने 2017 में मंजूरी दी थी, जिसमें साफ तौर पर शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया था.


दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने वर्तमान स्थिति पर नाराजगी व्यक्त की, जहां एमसीडी ने 308 सार्वजनिक शौचालयों को साफ करने के लिए अवैध रूप से तेजाब का उपयोग करने का निर्देश दिया है. आयोग के निर्देश पर एमसीडी अधिकारियों ने 18 मई 2023 को एक कार्यालय आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अनुबंध के उक्त प्रावधान (जो तेजाब के उपयोग को प्रोत्साहित करता है) को निरस्त कर दिया गया है. यदि कोई व्यक्ति शौचालयों में तेजाब का उपयोग/भंडारण करता पाया जाता है, तो एजेंसी के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.


दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि हमें एमसीडी के शौचालय में भारी मात्रा में तेजाब मिला. शुरुआत में हमें लगा कि यह एमसीडी की ओर से शौचालयों का संचालन करने वाली निजी एजेंसी का गैर कानूनी काम है. हालांकि इस मामले में हमारी पूछताछ ने भानुमती का पिटारा खोल दिया. हमारी जांच से पता चला कि 2017 में, नॉर्थ एमसीडी के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने 308 सार्वजनिक शौचालयों के संचालन के लिए निजी एजेंसियों के साथ अनुबंध को मंजूरी देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. इसमें उन्हें साप्ताहिक रूप से शौचालयों को साफ करने के लिए तेजाब का उपयोग करना अनिवार्य था, अन्यथा भारी जुर्माना देना होगा.


एमसीडी जो खुद एक सरकारी संस्था है, एसिड के इस्तेमाल को बढ़ावा कैसे दे सकती है. यह चौंकाने वाली बात है. दिल्ली महिला आयोग के हस्तक्षेप के बाद, MCD ने आखिरकार सुधारात्मक कदम उठाए हैं और इसके सार्वजनिक शौचालयों में एसिड का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है.