Delhi News: गोविंदपुरी इलाके में रहने वाले अतुल कश्यप माइक्रो आर्टिस्ट है. उन्होंने 23 सेंटीमीटर के धागे पर राष्ट्रगीत लिखा है, जिसे लिखने में महज 20 मिनट का समय लगा.
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Delhi News: अगर किसी इंसान में कोई प्रतिभा हो तो वह लोगों के सामने उभर कर आ ही जाता है और उस प्रतिभाशाली व्यक्ति को उसकी पहचान अवश्य मिलती है. इसी कड़ी में कालकाजी विधानसभा क्षेत्र के गोविंदपुरी इलाके में रहने वाले अतुल कश्यप माइक्रो आर्टिस्ट है और उनके माइक्रो आर्टिस्ट की कला को देखते हुए उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड से नवाजा गया है.
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दरअसल यह रिकॉर्ड अतुल कश्यप को 23 सेंटीमीटर के धागे पर राष्ट्रगीत लिखने के लिए मिला है, जिसे लिखने में महज 20 मिनट का समय लगा. जिस चीज को आम इंसान सोच नहीं सकता. उस पर इस माइक्रो आर्टिस्ट के द्वारा राष्ट्रगीत लिख देना उसके प्रतिभा की दक्षता को दर्शाता है. आगे अतुल कश्यप ने बताया कि इससे पहले उन्हें तीन बार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से नवाजा जा चुका है. पहली बार जब वह सरसों के दाने पर आई लव इंडिया लिखे थे तब उन्हें पहली बार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से नवाजा गया था, जिसके बाद यह सिलसिला जारी रहा और आज उनके प्रतिभा को देखते हुए उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड से नवाजा गया है.
वहीं आगे जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने और भी बहुत से कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जिसमें तिल के दाने से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की तस्वीर बनाई है तो वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को एक सूक्ष्म से बोतल में बनाया था. वर्तमान में अतुल कश्यप दुनिया का सबसे छोटा हनुमान चालीसा लिखने में लगे हैं, जो महज तीन मिलीमीटर का होगा, अगर कहा जाए तो हमारे हाथों के नाखून के बराबर का होगा तो वहीं चावल के दाने पर पूर्ण गायत्री मंत्र लिखने पर भी लगे हुए हैं.
वहीं आगे अतुल कश्यप ने जानकारी देते हुए बताया कि वह मूल रूप से फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और वर्तमान में वह दिल्ली के गोविंदपुरी में रह रहा. हालांकि अभी वर्तमान समय में अतुल कश्यप बेरोजगार है, क्योंकि डीसीडी की नौकरी से उन्हें हटा दिया गया है, जिसके बाद वह बेरोजगार है. उन्होंने बताया कि वह सूक्ष्म आर्टिस्ट अपनी ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद बने जब वह ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की तो उन्हें लगा कि दुनिया में कुछ अलग करना होगा तभी लोग उन्हें जान पाएंगे, फिर उन्होंने माइक्रो आर्टिस्ट बनने की सोची इसके बाद कड़ी परिश्रम करने के बाद वह आज इस मुकाम पर हैं कि उन्हें माइक्रो आर्टिस्ट के तौर पर जाना जाने लगा है. आगे वह बताते हैं कि कुछ और भी माइक्रो प्रोजेक्ट बनाने में जुटे हुए हैं, जिससे वह अपना नाम देश और विदेश में कर सके.
Input: Hari Kishor Sah