Delhi News: राजधानी दिल्ली के मजनू-टीला इलाके में पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी चाहते हैं कि उनके बच्चे भी देश का नाम रोशन करें, लेकिन भारतीय नागरिकता न होने के चलते वह लोग दिल्ली में रहकर भी अपने आपको अकेला महसूस कर रहे हैं. पाकिस्तान से हिंदुस्तान की सरजमीं पर रोशनी की तलाश में हिंदू शरणार्थियों का भविष्य अंधकार में भटक रहा है.


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पाकिस्तान के सिंध प्रांत से हिंदुस्तान में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी करीब 2011 से मजनू का टीला में कैंप लगाकर रह रहे हैं. इसमें करीब 145 परिवार में 200 से ज्यादा बच्चे हैं, परंतु यह लोग हिंदुस्तान में रहकर भी अपने आप को सरहदों की बंदिशों में बंधा हुआ समझ रहे हैं. 


दिल्ली के मजनू का टीला गुरुद्वारे के पास हिंदू कैंप में रहने वाले हिंदू शरणार्थियों के इन मासूम बच्चों को यह नहीं पता कि इनका भविष्य भारत की राजधानी में कैसा होगा. यमुना किनारे जंगली इलाके में करीब 13 साल पहले आए पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों ने सोचा था कि वह पाकिस्तान के नर्क से निकलकर हिंदुस्तान की सरजमीं पर आकर आशियाना बनाएंगे, बच्चो का भविष्य सुधारेंगे और इज्जत की जिंदगी जियेंगे, लेकिन इन्हें क्या पता था कि पाकिस्तान से हिंदुस्तान की तरफ जिस रोकने की तलाश में अंधकार से निकले या फिर उसी अंधकार में फंसकर रह जाएंगे.


दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार के तरफ से पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी कैंप में रहे हिंदू शरणार्थियों को बिजली पानी जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने के साथ-साथ बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए आधार कार्ड भी पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के बनवाए जा चुके हैं, लेकिन भारतीय नागरिकता न होने के चलते आज भी पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी सड़क पर रेड्डी-पटरी लगाकर अपने घर की जीवनशैली चला रहे हैं, लेकिन पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की आकांक्षाएं हैं कि केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें भारतीय नागरिकता मिले और यह भारत के विभिन्न विभिन्न राज्यों में खेती-बाड़ी कर अपने बच्चों का पालन पोषण अच्छे तरीके से कर सके और बच्चों को शिक्षित कर भारत का नाम रोशन करें.


पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी कैंप में रहने वाले लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से यदि हमें भारतीय नागरिकता मिल जाए तो हम इज्जत की जिंदगी जी सकते हैं. अभी हम लोग अपनी जिंदगी पाकिस्तान जैसी ही जी रहे हैं. बस इतना फर्क है कि यहां हमारे घर की महिलाएं सुरक्षित हैं. पाकिस्तान में हम अपने ही घरों से बाहर निकलने में डर लगता था. बच्चों के साथ कब क्या हो जाए यह किसी को नहीं पता था. जगह-जगह पर हमें प्रताड़ित किया जाता था. लड़कियों को स्कूल में पढ़ने की इजाजत नहीं थी. यदि हिंदुस्तान में रहकर भी हम अपनी लड़कियों को शिक्षित नहीं कर पाए तो हमारा जीवन हिंदुस्तान में आकर भी व्यर्थ रहा हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे भारतीय सेना में भर्ती हो और देश की रक्षा करें.


फिलहाल आपको बता दें कि मजनू का टीला इलाके में हिंदू शरणार्थी कैंप में रहने वाले लोगों भारत की नागरिकता की मांग केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं, ताकि वह अपने मासूम बच्चे का भविष्य उज्जवल कर सकें. वहीं गुमराहियों के अंधेरे में भटक रहे लोगों को केंद्र सरकार उम्मीद की रोशनी जरूर दिखा रही है, लेकिन हिंदू शरणार्थियों की जिंदगी का अधिकार खत्म करने के लिए उम्मीद की रोशनी आखिर कब हिंदू शरणार्थियों मिलेगी यह किसी को नहीं पता.


Input: Nasim Ahmad