Bheemeshvari Devi Mandir: मूर्ति एक और मंदिर दो! जानें हरियाणा में स्थित महाभारत काल के इस अनूठे मंदिर का इतिहास
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Bheemeshvari Devi Mandir: मूर्ति एक और मंदिर दो! जानें हरियाणा में स्थित महाभारत काल के इस अनूठे मंदिर का इतिहास

Navratri 2023: हरियाणा के झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित माता भीमेश्वरी देवी का इतिहास महभारत कालीन है. यहां प्रतिमा तो एक है, लेकिन मंदिर दो हैं. मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा हर दिन दो मंदिर में रहती है. 

Bheemeshvari Devi Mandir: मूर्ति एक और मंदिर दो! जानें हरियाणा में स्थित महाभारत काल के इस अनूठे मंदिर का इतिहास

Navratri 2023: आज से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई है. देशभर में भक्त मां के मंदिर में पहुंचकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर रह हैं. हरियाणा के झज्जर में स्थित महाभारत कालीन माता भीमेश्वरी देवी मंदिर में भी आज सुबह से ही भक्तों की भीड़ नजर आई. देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु यहां माता के दरबार में दर्शन के लिए पहुंचे हैं. नवरात्रि पर यहां मेले का भी आयोजन किया गया है,  झज्जर जिले के एसपी डॉक्टर अर्पित जैन भी सुबह माता की आरती में शामिल हुए, साथ ही सुरक्षा व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया. 

लाल रंग की पोशाक में सजीं माता
नवरात्रि के पहले दिन माता भीमेश्वरी देवी को खास तरह के लाल रंग की रत्न जड़ित पोशाक और स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया है. इस बार माता भीमेश्वरी देवी की पोशाक कोलकाता से बनकर आई है. चांदी के सिंहासन पर विराजमान मां के भव्य रूप का दर्शन करने के लिये देशभर से श्रद्धालुओं बेरी पहुंचने लगे हैं. यहां नवरात्र के दौरान ही प्रदेश का सबसे बड़ा घोड़ों और खच्चरों का पशु मेला भी लगता है, जो घोड़ों के व्यापार करने और पशु प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र रहता है.

नवरात्र में मां की पूजा अर्चना का विशेष फल मिलता है. नवविवाहित जोड़े माता के दर्शन कर बेहतर भविष्य की कामना करते हैं, वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालु अपने नवजात शिशुओं के सिर का मुंडन कराकर बाल माता पर चढ़ाते हैं, जिससे उनके बच्चों के सिर पर माँ की कृपा बनी रहे. 

माता भीमेश्वरी देवी का इतिहास
झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित इस मंदिर का इतिहास महभारत कालीन है. कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने पांडु पुत्र भीम को कुलदेवी मां से विजय श्री का आशीर्वाद लेने के लिए भेजा था. मां भीम के साथ चलने को तो तैयार हो गईं, लेकिन शर्त रखी कि रास्ते में कहीं उतरना नहीं होगा. लेकिन जब भीम बेरी पहुंचे तो उन्होंने लघुशंका जाने के लिए कुलदेवी की प्रतिमा को नीचे रख दिया. तभी से मां भीमेश्वरी देवी यहां विराजमान हैं. मां की पूजा अर्चना का सिलसिला महाभारत काल से ही चला आ रहा है. यहां स्थित मंदिर भी महाभारत काल में ही बनाया गया है. 

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बेरी में स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर की एक ओर बात भी इसे अन्य मंदिरों से खास बनाती है. यहां मां की प्रतिमा तो एक है लेकिन मंदिर दो हैं. मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को रोजाना सुबह 5 बजे बेरी कस्बे से बाहर स्थित मंदिर में लाया जाता है, जहां श्रद्धालु माता के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं. वहीं दोपहर 12 बजे प्रतिमा को पुजारी अंदर वाले मंदिर में लेकर जाते हैं, जिसके बाद अंदर वाले मंदिर में मां आराम करती हैं.

शीतला माता मंदिर
साइबर सिटी गुरुग्राम के प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर में भी पहले नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई. सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही शीतला माता के दर्शन के लिए हजारो श्रद्धालु कतार में खड़े दिखाई दिए. मंदिर के पुजारियों के अनुसार, मां शीतला के दर्शन के लिए पहले नवरात्र के दिन एक लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है. श्रद्धालुओं के लिए जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन की तरफ से विशेष प्रबंध किए गए हैं. मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करते हुए पुलिस के जवानों की तैनाती बढ़ा दी गई है. यहां नवरात्र के 9 दिन विशेष पूजा का आयोजन होगा और मंदिर परिसर के बाहर मेले का भी आयोजन किया जा रहा है. 

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