Durga Puja 2022: हिंदू धर्म में हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. इसके बाद अष्टमी पर दुर्गा अष्टमी व्रत व कन्या पूजन किया जाता है. कुछ लोग नवमी को महानवमी पूजा और कन्या पूजन करते है और माता का आशीर्वाद प्राप्त करते है. इस बार नवरात्रि 26 सितंबर यानी की सोमवार से शुरू हो रहे है.


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इसी दिन दुर्गा पूजा भी की जाती है और कलश स्थापना की जाती है. देवी दुर्गा के 9 स्वरूप हैं, जिनकी नवरात्रि की अलग-अलग तिथियों पर पूजा की जाती है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मां आदिशक्ति के सभी स्वरूपों के पास अलग-अलग शस्त्र हैं. तो चलिए आज हम देवी मां के अस्त्र-शस्त्रों के बारे में जानेंगे.


ज्योतिषों के अनुसार, हिंदू धर्म में अलग-अलग देवताओं ने मां दुर्गा को शस्त्र दिए थे ताकि असुरों के खिलाफ होने वाले संग्राम में विजय प्राप्त की जा सके. आज हम जानेंगे की माता के हाथ में कौन-कौन से शस्त्र हैं और वे किन देवताओं द्वारा माता को दिए गए.


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माता दुर्गा के पास कौन सा शस्त्र?


त्रिशूलः- दुर्गा माता ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किया हुआ है. कहते है कि भगवान शिव ने मां अंबा को त्रिशूल भेंट किया था.


शक्ति दिव्यास्त्रः- दुर्गा माता को ये अस्त्र अग्नि देव ने प्रदान किया था. महिषासुर समेत अनेक दैत्यों के साथ जब युद्ध करने आया, तब मां ने इसी अस्त्र से सभी से लड़ी थी.


चक्रः- भक्तों की रक्षा के लिए मां दुर्गा को ये चक्र श्रीहरि विष्णु ने दिया था और रक्तबीज व अन्य कई दैत्यों को मारने के लिए मां ने चक्र का इस्तेमाल किया था.


शंखः- कहते हैं कि धरती, आकाश व पाताल, तीनों लोकों को अपनी ध्वनि से कंपायमान कर देने वाला शंख जब ऊंचे स्वर में युद्ध भूमि में गूंजता था, तब सभी दैत्य डर के मारे भाग खड़े होते थे. वरुण देव ने मां जगदम्बा को शंख भेंट किया था.


धनुष और बाणः- यह शस्त्र माता को पवन देव ने प्रदान किए थे. युद्ध भूमि में माता ने धनुष और बाण से दैत्यों की सेना का विनाश किया था.


घंटाः- कहते हैं कि असुरों और दैत्यों को घंटे के नाद से बेहोश कर उनका विनाश करने वाली मां को ऐरावत हाथी के गले से उतार कर एक घंटा इंद्र देव ने भेंट किया था.


तलवार और फरसाः- शास्त्रों के अनुसार, चंड-मुंड का विनाश करने के लिए माता ने काली का विकराल रूप धारण कर लिया था. काली माता को काल द्वारा प्रदान किया गया था, जिससे माता ने कई असुरों की गर्दन तलवार अलग कर दी थी.