डिप्टी सीएम के आदेश पर अधिकारियों की मनमानी भारी, दिव्यांग के साथ किया कुछ ऐसा कि...
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डिप्टी सीएम के आदेश पर अधिकारियों की मनमानी भारी, दिव्यांग के साथ किया कुछ ऐसा कि...

अधिकारियों और उप मुख्यमंत्री के चक्कर काटकर कौशलेंद्र थक चुका है, इसलिए उसने अब नौकरी के लिए अदालत का सहारा लिया है.

डिप्टी सीएम के आदेश पर अधिकारियों की मनमानी भारी, दिव्यांग के साथ किया कुछ ऐसा कि...

फरीदाबाद: हरियाणा सरकार युवाओं को रोजगार देने की हरसंभव कोशिश कर रही है, लेकिन अधिकारियों की मनमानी सरकार के इस प्रयास में पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. ऐसा ही एक मामला फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में सामने आया है, जहां हरियाणा रोडवेज के अधिकारियों ने डिप्टी सीएम के आदेश को दरकिनार कर एक दिव्यांग युवक को दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज कर दिया. हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के आदेश पर हरियाणा रोडवेज में बतौर एनाउंसर लगाए गए दिव्यांग युवक को कुछ महीने बाद ही हटा दिया गया. नौकरी से हटाने के बाद जब चौटाला ने स्थानीय अधिकारियों को बार-बार इस मामले में संज्ञान लेने के लिए कह चुके हैं, लेकिन अधिकारी मनमानी करते ही जा रहे हैं. हद तो तब हो गई जब विभागीय अधिकारियों ने दिव्यांग युवक कौशलेंद्र को टॉयलेट की सफाई और झाडू-पोंछा लगवाने का काम करने पर मजबूर किया. लिहाजा अब युवक एक बार फिर बेरोजगार हो गया. जीवनयापन के लिए वह काफी जद्दोजहद कर रहा है. 

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डिप्टी सीएम ने नौकरी पर रखने का दिया था आदेश
फरीदाबाद में बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र की प्रेस कॉलोनी में रहने वाले दिव्यांग कौशलेंद्र की 1 साल की बेटी है. बता दें, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने फरीदाबाद ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग के दौरान अधिकारियों को उसे नौकरी देने का आदेश दिया था, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने उसे हरियाणा रोडवेज में बतौर अनाउंसर के पद पर तैनात कर दिया. दुष्यंत चौटाला ने 25 दिसंबर 2019 को ग्रीवेंस कमेटी में यह आदेश दिया था. इसके बाद डीसी रेट पर हरियाणा रोडवेज में कौशलेंद्र को बतौर एनाउंसर नौकरी पर तैनात कर दिया गया. 

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6 महीने बाद ही कर दिया नौकरी से बाहर
नौकरी लगाने के लिए संबंधित विभाग की ओर से नियुक्ति पत्र साथ ही और भी कागजात दिए गए थे, लेकिन लगभग 6 महीने रोडवेज में बतौर एनाउंसर नौकरी करने वाले कौशलेंद्र को ठेकेदार ने हटा दिया. हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने चार बार मुलाकात की और इस बारे में उन्हें अवगत कराया तो चौटाला ने कॉन्ट्रैक्ट बेस पर कौशलेंद्र को नौकरी देने के आदेश दिए. एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में कौशलेंद्र ने बताया कि दुष्यंत चौटाला ने तो अधिकारियों को आदेश कर दिया, लेकिन अधिकारियों ने उप मुख्यमंत्री के आदेश को भी गंभीरता से नहीं लिया.

अधिकारियों की आनाकानी से परेशान 
कौशलेंद्र की मानें तो इस मामले में उसने स्थानीय जिला उपायुक्त और हरियाणा रोडवेज के महाप्रबंधक से मुलाकात तो की, लेकिन उसे अधिकारियों से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. बाद में अधिकारियों ने साफ तौर पर यह कह दिया कि उनके विभाग में एनाउंसर की कोई जगह खाली नहीं है, जबकि बाद में अधिकारियों ने लिखित रूप में यह भी माना कि यहां एनाउंसर की 2 नौकरी हैं, जिनमें से एक पद खाली है. 

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दिव्यांग ने किया अदालत का रुख 
दिव्यांग युवक की मानें तो ठेकेदार ने तो यह तक कह दिया कि उनके यहां सफाईकर्मी की नौकरी खाली है, जिसके लिए उसे झाडू पोछा करना पड़ेगा. बाकी एनाउंसर की नौकरी पर वे उसे रख नहीं सकते. अधिकारियों और उप मुख्यमंत्री के चक्कर काटकर कौशलेंद्र थक चुका है, इसलिए उसने अब नौकरी के लिए अदालत का सहारा लिया है. अदालत का केस लड़ने के लिए भी वकील ने कौशलेंद्र को कोई फीस देने के लिए मना कर दिया है. अदालत में क्या होगा यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल कौशलेंद्र और उसका परिवार दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है.

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