Faridabad News: फरीदाबाद में भी लगातार ठंड बढ़ रही है. टैम्परेचर जैसे-जैसे नीचे जा रहा है. वैसे-वैसे ही लोगों की परेशानी भी बढ़ रही है. विशेष कर उन लोगों की जो रात के समय सड़क पर रुकने, सोने के लिए मजबूर हैं या जिनके पास रात गुजारने के लिए छत नहीं होती है. ऐसे में प्रशासन अपनी तरफ से रैन बसेरे का इंतजाम करता है, जहां ऐसे मजबूर राहगीर, बेसहारा लोग अपनी रात गुजार सके, चैन की नींद सो सके.


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फरीदाबाद में भी पिछले कई दिनों से सर्दी का असर तेज हो गया है. बढ़ती सर्दी को देखते हुए सड़क किनारे कड़ाके की सर्दी में सो रहे लोगों की चिंता प्रशासन को भी सताने लगी है, जिसको देखते हुए जिला उपयुक्त के आदेश के बाद नगर निगम रेड क्रॉस और जन कल्याण विभाग की टीम को रैन बसेरों की व्यवस्था को दुरुस्त करने के आदेश दिए हुए हैं.


अब क्योंकि लगातार ठंड बढ़ रही है. रात में पारा 12 डिग्री से नीचे जा चुका है तो ऐसे में ज़ी मीडिया ने फरीदाबाद के जमीनी स्तर पर जाकर एक बार फिर पड़ताल की उन्हीं रैन बसेरों के हालातों की जिनकी खबर ज़ी मीडिया ने पहले भी दिखाई थी. स्थानीय रेड क्रॉस व जन कल्याण विभाग के कर्मचारी रात को रैन बसेरों में निरीक्षण करते हुए हमें दिखाई दिए. बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि बढ़ रही ठंड को देखते हुए जिला स्तर पर रेस्क्यू व निरीक्षण टीम बनाई गई है, जो रात को सड़क पर उतरकर रैन बसेरों का निरीक्षण करती हुई नजर आ रही है, जो मजबूर लोग सड़क किनारे सोते हुए उन्हें नजर आते हैं. उनका रेस्क्यू करते हुए उन्हें सुरक्षित रैन बसेरे में पहुंचा कर ठंड से उनका बचाव किया जा रहा है.


रेड क्रॉस कर्मचारियों ने बताया कि रैन बसेरों के निरीक्षण के दौरान जो भी कमियां दिखाई दे रही है. उन्हें साथ-साथ दुरुस्त करवाया जा रहा है, ताकि यहां आने वाले मजबूर लोग सुविधाओं के साथ आराम से सो सके. जानकारी के अनुसार शहर में 6 रैन बसेरे बनाए गए हैं. इनके संबंध में आए दिन आने वाली शिकायतों को निपटाने के लिए निगम ने मॉनीटरिंग बढ़ाई तो इनकी व्यवस्था में भी सुधार हुआ है.


ज़ी मीडिया की टीम जनता कॉलोनी के उस रैन बसेरे में पहुंची, जिसके हालत 20 दिन पहले जी मीडिया के माध्यम से दिखाए गए थे. वहां अब हालात सुधरे हुए नजर आ रहे थे. पहले जहां गद्दे फटे हुए नजर आ रहे थे, रजाई कंबल में धूल भरी हुई थी. सीलन भरा माहौल था. अब वहां नए और साफ-सुथरे गद्दे, कंबल रजाइया रखी हुई दिखाई दे रही थी. चारपाई पलंग बेहद व्यवस्थित तरीके से रखे हुए दिखाई दे रहे थे. साफ सफाई भी दिखाई दे रही थी यानी कि पहले से हालात बेहद सुधरे हुए नजर आ रहे थे. हालांकि यहां पर हमें कोई भी रुका हुआ व्यक्ति नजर नहीं आया.


यहां के हालात हमें पहले भी बेहतर नजर आए थे. अभी भी यहां की हालत साफ व व्यवस्थित नजर आ रही थी. कमरे के अंदर लगभग 10 पलंग मौजूद थे, जिन पर राहगीर और मजबूर कुछ लोग सोते हुए नजर आ रहे थे. चैन की नींद सो रहे थे तो वहीं यहां की व्यवस्था संभालने वाले कर्मचारियों ने बताया कि यहां कंबल गड्ढे चद्दर का बेहतर इंतजाम किया हुआ है. पानी का भी इंतजाम है. खाना खाने के लिए लोग पास की ढाबे पर चले जाते हैं तो वहीं इमरजेंसी के लिए प्रशासन की तरफ से रात के समय फर्स्ट एड दवाई के डब्बे का भी इंतजाम किया गया है. यानी कि यहां भी बेहतर सुविधा के साथ मजबूर लोग यहां रात गुजारते हुए नजर आ रहे हैं.


यहां हमें अस्थाई तौर पर बने हुए कंटेनर के बाहर कुछ लोग सड़क पर ठंड में बैठे हुए नजर आए. बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि मजदूरी करते हैं. उनके पास आधार कार्ड नहीं है. इसलिए उन्हें रैन बसेरे के अंदर रहने नहीं दिया जा रहा. इसलिए सड़क पर ठंड में सोने को मजबूर है. वहीं रैन बसेरे के अंदर वहां की व्यवस्था संभाल रहे कर्मचारियों ने बताया कि इस बार यहां बेहतर इंतजाम है. एक समय में 10 लोग यहां सो सकते हैं. उनके लिए ठंड से बचने के लिए गद्दे, रजाई चद्दर, तकिए की व्यवस्था की हुई है. पीने के पानी का भी प्रबंध है, लेकिन शौचालय तीन दिन से खराब है. सूचना दे दी गई है, जल्दी ठीक हो जाने की उम्मीद है. 


वहीं अस्थाई रूप से बनाए गए इस रैन बसेरे में रात गुजार रहे लोगों ने बताया कि वह यहां की व्यवस्था से संतुष्ट हैं. यानी की ज़ी मीडिया की पड़ताल के बाद यह निष्कर्ष निकला कि फरीदाबाद जिला प्रशासन की सख्ती के बाद इस बार फरीदाबाद के रैन बसेरों की हालत सुधरी हुई नजर आ रही है तो वहीं वहां रुकने वाले राहगीर और मजबूर लोग संतुष्ट दिखाई दे रहे हैं.


Input: Amit Chaudhary