Faridabad News: निगम की लापरवाही से स्कूल की हालत खस्ता, क्लास में उगाई जा रहीं सब्जियां
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Faridabad News: निगम की लापरवाही से स्कूल की हालत खस्ता, क्लास में उगाई जा रहीं सब्जियां

Faridabad News: फरीदाबाद नगर निगम ने पहले तो बिना काम किए ठेकेदार को 200 करोड़ रुपये दे दिए थे. वहीं अब एक स्कूल में बिना छत के कमरे हैं, जहां बच्चे नहीं पढ़ रहे, बल्कि सब्जियां उग रही हैं.

Faridabad News: निगम की लापरवाही से स्कूल की हालत खस्ता, क्लास में उगाई जा रहीं सब्जियां

Faridabad News: जहां एक तरफ फरीदाबाद का नगर निगम पैसे की तंगी का रोना रोता रहा है तो वहीं दूसरी ओर नगर निगम फरीदाबाद पर बिना काम किए ठेकेदार को 200 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आरोप भी है. उसी नगर निगम का एक और कारनामा फरीदाबाद के सरकारी स्कूल के अंदर देखने को मिला है. वो कमरे जहां बैठकर देश के भविष्य और समाज के निर्माण के लिए एक अच्छी बच्चों की पौध तैयार की जा सकती थी, लेकिन अब इन कमरों में बच्चों के पढ़ाने की जगह सब्जियां उग रही हैं.

बता दें कि फरीदाबाद विधानसभा के एक गांव के राजकीय प्राथमिक पाठशाला सेक्टर-7 का है. यह वही सीही गांव है, जिसे सूरदास की जन्मस्थली भी माना जाता है. वैसे तो यह सरकारी स्कूल काफी पुराना है, लेकिन अब जो एक बार फिर यह स्कूल चर्चा में आया है, उसका कारण है यहां पढ़ने वाले गरीब बच्चों के लिए पढ़ाई के लिए पिछले 6 सालों से बन रहे कमरें, जिनकी खिड़कियां, दरवाजे, छत तक गायब है.

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बजट खत्म का बहाना बनाकर ग्राउंड फ्लोर पर बिना छत, दरवाजे, खिड़कियां डाले काम बंद कर दिया गया. अभिन्न कमरों में सब्जियां लगी हुई नजर आती है, लेकिन अब इस सवाल का जवाब कौन देगा कि अगर बजट ही नहीं था तो पुराने स्कूल की कंडम होती बिल्डिंग कि पहली मंजिल पर और नये कमरे क्यों बना दिए गए और फिर वह भी अधूरे छोड़ दिए गए बिना छत खिड़की दरवाजे बनाएं. यह एक बहुत बड़ा सवाल है.

मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत इन कमरों का निर्माण शुरू करवाया गया था. केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और उस समय के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने इन कमरों का शिलान्यास 2018 में किया था. कमरों की छत, दरवाजें, खिड़कियां बनाई ही नहीं गई. जिन कमरों में बैठकर पढ़ते हुए बच्चे अपना भविष्य संवार सकते थे. आज वहां सब्जियां उगाई जा रही हैं. 

हो सकता है बड़ा हादसा
अगर नीचे ग्राउंड फ्लोर पर बजट की कमी बता कर काम बंद कर दिया गया तो बड़ा सवाल यह है कि स्कूल की पुरानी इमारत जो कि जर्जर हो रही थी. उसी के ऊपर नए कमरे क्यों बना दिए गए. वह भी आधे-अधूरे और सबसे बड़ी लापरवाही यह की ऊपर की मंजिल से कभी भी कोई भी बच्चा गिर सकता है, क्योंकि बाउंड्री की रोक लगाई ही नहीं गई. बिजली की तारे खुली पड़ी हुई हैं, जिससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

नहीं हो रही कोई सुनवाई
मुख्य शिक्षिका बताती है कि यहां से छत चोरी नहीं हुई है. छत तो बनाई ही नहीं गई. नीचे की बिल्डिंग भी अधूरी है और ऊपर की बिल्डिंग भी अधूरी है. हमने कई बार एप्लीकेशन दी है. पुरानी बिल्डिंग की छत पर पानी भर जाता था, जिससे बिजली कनेक्शन शॉट भी हो गया था. पुरानी छत को रिपेयर करवाया गया. अब उसी पुरानी बिल्डिंग के ऊपर नई बिल्डिंग बना दी गई है. पार्षद, विधायक को शिकायत दी गई है कि छोटे बच्चे हैं जो कि ऊपर छत पर चले जाते हैं, जिससे लगातार गिरने का खतरा बना रहता है. शौचालय भी प्राइवेट कंपनी के सहयोग से बनाया गया है.

बिल्डिंग को किया गया फेल
इसी सिही गांव के स्थानीय निवासी सुनील बताते हैं कि इन कमरों के निर्माण में मटेरियल घटिया स्तर का इस्तेमाल किया गया है. चंडीगढ़ से टीम आई थी. उन्होंने सैंपल लिया था और इस नई बिल्डिंग को फेल कर दिया गया. इसलिए निर्माण रोका गया था. यह नगर निगम की बड़ी लापरवाही है. सारा पैसा पानी में बह गया. नगर निगम एसडीओ, जेई आते हैं और केवल खानापूर्ति करते हैं. सीधे और साफ तौर पर सुनील नगर निगम की कमी बताते हैं.

ठेकेदार को करें ब्लैक लिस्ट
कमरों पर छत नहीं होने के सवाल पर पार्षद कुलवीर बताते हैं कि पहले तो कोरोना के चलते काम बंद हो गया. उस ठेकेदार की पेमेंट भी करा दी गई थी, लेकिन उसके बाद भी ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया. वहीं उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चे ज्यादा हैं और कमरे कम थे. इसलिए नए कमरों का निर्माण कराया गया था. केंद्रीय राज्यमंत्री किशनपाल गुर्जर और कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल के सहयोग से इन कमरों का निर्माण नगर निगम के माध्यम से करवाया जा रहा था. कमरों के कारण मैदान भी खत्म हो गया है और अब कमरे भी अधूरे हैं. ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करना चाहिए. 

अधिकारियों ने सवालों के जवाब देने से किया मना
यह कमरे मुख्यमंत्री की घोषणा से बन रहे थे. ठेकेदार की गलती है कि नीचे के कमरे का निर्माण पूरा किए बिना ऊपर के कमरे बना दिए. वह भी पुरानी बिल्डिंग पर, जहां कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. यह सीधे-सीधे नगर निगम की बड़ी लापरवाही है. वहीं जब हमारी ज़ी मीडिया की टीम ने नगर निगम अधिकारियों से इस विषय पर जानकारी लेने का प्रयास किया तो उन्होंने इस विषय पर कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया.

Input: Amit Chaudhary

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