Haryana News: प्रदेश में पिछले कुछ वर्षो से किसान धान गेहूं, गन्ना जैसी परंपरागत फसलों को छोड़कर बागवानी खेती की ओर रूख कर रहे हैं. किसान फलों और सब्जियों की खेती करके काफी मुनाफा कमा रहे हैं. जिसके चलते फल-सब्जियों की खेती का रकबा तेजी से बढ़ रहा है.
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Karnal News: करनाल जिले के गांव तखाना का प्रगतिशील किसान महिपाल परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी खेती कर रहा है. किसान करेला, बैंगन, टमाटर, लौकी, सिंगरा, अमरूद की खेती करके खुब मुनाफा कमा रहे हैं. किसान महिपाल को फसलों पर सरकार की तरफ से सब्सिडी का लाभ भी मिल रहा है. किसान महिपाल ने बताया कि वह पिछले 15 वर्षो से बागवानी के तहत खेती कर रहा है.
किसानों को दी बागवानी अपनाने की सलाह
किसान महिपाल ने बताया कि उसके पास 10 एकड़ जमीन खुद की है, जबकि 7 एकड़ उसने ठेके पर ली हुई है. वह करेला, बैंगन, टमाटर, लौकी, सिंगरा, अमरूद सहित अन्य फसलों की खेती करता है. वह 6 एकड़ में सब्जियों की खेती करता है, बाकी में अन्य फसलें उगाता है. जैसा मौसम होता है वह उसके अनुसार ही फसलों में फेरबदल कर लेता है. उसने ये भी कहा कि बागवानी के तहत काफी मेहनत जरूर लगती है, लेकिन मुनाफा भी अच्छा होता है. परंपरागत खेती में किसान को घाटा हो सकता है, लेकिन सब्जियों और फलों की खेती में किसान दोगुना-तीनगुना मुनाफा कमा सकता है. फसल बेचने में भी उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है. दिल्ली, यूपी और लोकल व्यापारी खेत में आकर फसल खरीद ले जाते हैं. वहीं इसमें सरकार की तरफ से भी किसान को सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है. जैसे तारबांस पर बीज, ड्रीप सिस्टिम पर सरकार की तरफ से उन्हें अनुदान मिल रहा है. वहीं मेरा पानी मेरी विरासत 7 हजार रुपए एकड़, धान की सीधी बिजाई पर 4 हजार रुपए एकड़, धान के फानों का प्रबंध करने सहित अन्य अनुदान उन्हें मिल रहा है. किसान महिपाल ने अन्य किसानों को भी बागवानी अपनाने की सलाह दी.
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सरकार दे रही किसानों को सब्सिडी
बागवानी विभाग के अधिकारी मदनलाल का कहना है कि सरकार की तरफ से किसानों को सब्जी लगाने पर कई तरह की सुविधा दी जा रही है. वहीं किसानों को मशीनरी दी जा रही है. किसानों को स्टॉक के लिए भी सरकार उनको कई सुविधा दे रही है. बागवानी विभाग में कई तरह की स्कीम में चल रही है. किसान भी इसका फायदा उठा रहे हैं. अगर किसी वजह से किसी की फसल सही रेट पर नहीं बिकती तो सरकार उसकी भरपाई करती है.
Input- KAMARJEET SINGH