Fathima Beevi Died: राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका को ठुकराने वाली फातिमा बीवी का निधन, जानें कौन थीं वह
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Fathima Beevi Died: राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका को ठुकराने वाली फातिमा बीवी का निधन, जानें कौन थीं वह

fathima beevi death: राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका खारिज करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज फातिमा बीवी का गुरुवार को निधन हो गया है. आइए जानते हैं कौन थी वो. 

 

Fathima Beevi Died: राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका को ठुकराने वाली फातिमा बीवी का निधन, जानें कौन थीं वह

Fathima Beevi Died: सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज फातिमा बीवी का गुरुवार को 96 वर्ष की उम्र में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने फातिमा बीवी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज और तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है.   

केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने कही ये बात
वानी जॉर्ज ने ये भी कहा कि फातिमा बीवी एक बहादुर महिला थीं. उनके नाम पर कई रिकॉर्ड भी हैं. वह एक ऐसी महिला थीं, जिन्होंने अपने जीवन से हमेशा ये दर्शाया है कि अगर आपने दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो किसी भी विपरीत परिस्थिति से आसानी से पार पाया जा सकता है. 

तमिलनाडु में बतौर राज्यपाल न्याय और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए राजीव गांधी हत्या मामले में महत्वपूर्ण फैसला किया था. उन्होंने हत्या मामले में दोषियों की दया याचिकाओं को खारिज कर दिया था. 

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पंडालम की रहने वाली थी फातिमा बीवी
केरल में एक वकील के रूप में जस्टिस फातिमा बीवी ने अपना करियर शुरू किया था. यह केरल के पंडालम की रहने वाली थी. इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पथानामथिट्टा के स्कूल से पूरी की थी. फातिमा बीवी ने  तिरुवनंतपुरम के कॉलेज से बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री भी हासिल की थी. फातिमा बीवी  1980 में  आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में शामिल हुईं. वह 1983 में बतौर हाई कोर्ट जज नियुक्त हुईं. बाद में इन्हें 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. यह उच्च न्यायपालिका से नियुक्त होने वाली पहली मुस्लिम महिला न्यायाधीश थीं. इन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल पद पर रहते हुए तमिलनाडु विश्वविद्यालय के चांसलर के पद को भी संभाला था. 1992 में फातिमा बीवी रिटायर हो गईं. रिटायर होने के बाद 1993 से 1997 तक वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की मेंबर थीं. इसके बाद ही इनको तमिलनाडु का गर्वनर नियुक्त किया गया था.