Supreme Court News: होईकोर्ट ने शुक्रवार को यमुना के डूब क्षेत्र के पास गीता कॉलोनी में बने प्राचीन शिव मंदिर को गिराने के हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. बेंच ने कहा प्राचीन मंदिर के निर्माण की शुरुआत का प्रमाण कहां है? प्राचीन मंदिर पत्थरों से बनाए जाते थे न कि सीमेंट से और उस पर रंग-रोगन भी नहीं किया जाता था.


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भगवान शिव को किसी के संरक्षण की आवश्यकता नहीं-HC
हाईकोर्ट ने 29 मई को अपने आदेश में कहा था कि भगवान शिव को किसी के संरक्षण की आवश्यकता नहीं है. हाईकोर्ट ने यमुना नदी के किनारे अनधिकृत तरीके से बनाए गए मंदिर को हटाने से जुड़ी याचिका में भगवान शिव को पक्षकार बनाने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर यमुना नदी के किनारे और डूब क्षेत्र से सभी अतिक्रमण और अनधिकृत निर्माण हटा दिए जाएं तो भगवान शिव अधिक खुश होंगे. याचिकाकर्ता प्राचीन शिव मंदिर एवं अखाड़ा समिति ने दावा किया था कि मंदिर आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र है और यहां नियमित रूप से 300 से 400 श्रद्धालु आते हैं. मंदिर की संपत्ति की पारदर्शिता, जवाबदेही और जिम्मेदार प्रबंधन को बनाए रखने के लिए 2018 में सोसायटी का पंजीकरण किया गया था. 


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हाईकोर्ट ने कहा था कि विवादित भूमि व्यापक सार्वजनिक हित के लिए है और समिति (याचिकाकर्ता) इस पर कब्जा करने और इसका उपयोग जारी रखने के लिए किसी निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकती. अदालत ने कहा था कि यह जमीन शहरी विकास मंत्रालय द्वारा अनुमोदित जोन-'ओ' के लिए क्षेत्रीय विकास योजना के अंतर्गत आती है. समिति भूमि पर अपने स्वामित्व, अधिकार या हित से संबंधित कोई भी दस्तावेज दिखाने में बुरी तरह विफल रही है और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मंदिर का कोई ऐतिहासिक महत्व है.