हरियाणा में 17 साल बाद मिली खुशखबरी, 395 पीजीटी संस्कृत अध्यापक हुए पदोन्नत
Haryana Teachers Promotion: राज्य संस्कृत अध्यापक संघ के राज्य प्रधान राम प्रसाद कौशिक ने बताया कि 395 संस्कृत अध्यापकों की पदोन्नति हुई है और उन्हें पोस्टिंग भी मिल गई है. 300 के करीब पद रिक्त हैं. जल्द ही उनकी पदोन्नति से वह भी भर जाएंगे.
Haryana News: हरियाणा सरकार ने पिछले 17 वर्षों से पदोन्नति का इंतजार कर रहे पीजीटी संस्कृत अध्यापकों को खुशखबरी दी है. शिक्षा विभाग ने 395 अध्यापकों की पदोन्नति के आदेश जारी कर दिए हैं, जो वर्ष 2007 से पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे.
सरकार के इस फैसले के बाद हरियाणा राज्य संस्कृत अध्यापक संघ के राज्य प्रधान राम प्रसाद कौशिक के नेतृत्व में पूरे प्रदेश से आए संघ के पदाधिकारियों और संस्कृत अध्याप शिक्षा मंत्री कंवर पाल के आवास पर पहुंचे. उन्होंने मंत्री को पगड़ी बांधकर पुष्प गुच्छ और स्मृति चिह्न देकर उनका आभार व्यक्त किया. स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए, जिसके लिए सरकार प्रयासरत है.
ये भी पढ़ें : IPL 2024: आईपीएल से पहले जानें सभी टीमों के रिलीज और रिटेन खिलाड़ियों की पूरी लिस्ट
राम प्रसाद कौशिक ने कहा, स्कूल शिक्षा मंत्री कंवरपाल के प्रयासों और इनकी कलम से संस्कृत अध्यापकों के हित में यह ऐतिहासिक फैसला हुआ है. इस फैसले से हमारा 17 वर्षों से चल रहा वनवास खत्म हुआ है. यह मांग बहुत लंबे समय से अटकी हुई थी, जिसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल व स्कूल शिक्षामंत्री कंवरपाल ने गंभीरता से लिया और एक ऐतिहासिक फैसला लेकर हमें बहुत बड़ी सौगात दी है. कौशिक ने बताया कि 395 संस्कृत अध्यापकों की पदोन्नति हुई है और उन्हें पोस्टिंग भी मिल गई है. 300 के करीब पद रिक्त हैं. जल्द ही उनकी पदोन्नति से वह भी भर जाएंगे.
संस्कृत का भविष्य बहुत उज्ज्वल
वहीं कंवर पाल ने कहा, पदोन्नति के इस विषय को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल मुझे मिला था और मैंने उन्हें आश्वासन दिया था कि जिस प्रकार से सभी भाषाओं के अध्यापकों की पदोन्नति हो रही है, उसी प्रकार से उनकी भी की जाएगी. शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, जिसमें हमारे वेद, उपनिषद व अन्य धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान निहित है. संस्कृत भाषा को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए, जिसके लिए सरकार प्रयासरत है.
राज्य सरकार का सदैव यह प्रयास रहेगा कि यह ज्ञान लोगों तक पहुंचे. संस्कृत पूरे तरीके से एक वैज्ञानिक भाषा है. पूरी दुनिया ने इस बात को स्वीकार किया है. आने वाले समय में संस्कृत का बहुत उज्ज्वल भविष्य है और यह दुनिया की भाषा बनेगी.
इनपुट: विजय राणा