नए प्लान के तहत प्रदूषण स्तर को फिर से परिभाषित किया गया है. इसके तहत स्टेज I या 'खराब' (201 और 300 के बीच AQI), स्टेज II या 'बहुत खराब' (AQI 301 और 400 के बीच), स्टेज III या 'गंभीर' स्तर (AQI 401-450 के बीच) और 'अति गंभीर' या चरण IV (450 से ज्यादा AQI ) को रखा गया है.
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नई दिल्ली: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में आकस्मिक धुंध से निपटने के लिए आपातकालीन स्तर की ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) को पूरी तरह से नया रूप दिया है. इस योजना को अब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) या PM 2.5, PM10, ओजोन (O3), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) गैस समेत आठ प्रदूषकों से जोड़ा गया है.
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GRAP पहले तभी शुरू होता था, जब PM 2.5 या PM10 की सघनता एक विशेष सीमा को छूती थी. योजना में सुधार क्षेत्र में वायु प्रदूषण की रोकथाम और कमी पर एक नई व्यापक नीति का हिस्सा है. आयोग ने कहा कि नीति में तत्काल प्रभाव से अल्पावधि (1 वर्ष के भीतर), मध्य अवधि (2-3 वर्ष के भीतर) और दीर्घकालिक (3-5 वर्ष) कार्रवाई शामिल है.
नई नीति के अनुसार 'बहुत खराब', 'गंभीर' और 'अति गंभीर' श्रेणियों के तहत धुंध से निपटने के उपायों को कम से कम तीन दिन पहले लागू किया जाएगा.
'अति गंभीर' श्रेणी के तहत एजेंसियों ने अनिवार्य उपायों को लागू करने से पहले 48 घंटे या उससे अधिक के लिए PM 2.5 और PM10 की सांद्रता 300 और 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर रहने तक का इंतजार किया.
नए प्लान के तहत प्रदूषण स्तर को फिर से परिभाषित किया गया है. इसके तहत स्टेज I या 'खराब' (201 और 300 के बीच AQI), स्टेज II या 'बहुत खराब' (AQI 301 और 400 के बीच), स्टेज III या 'गंभीर' स्तर (AQI 401-450 के बीच) और 'अति गंभीर' या चरण IV (450 से ज्यादा AQI ) को रखा गया है.
आयोग ने कहा कि दिल्ली-एसीआर में आमतौर पर वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान तैयार किया गया है. वायु प्रदूषण को रोकने के लिए दिन प्रतिदिन मौसम संबंधी पूर्वानुमान के आधार पर स्टेज II, III और IV के तहत कार्रवाई की जाएगी. यह कार्रवाई एक्यूआई के उस चरण के अनुमानित स्तर तक पहुंचने से कम से कम तीन दिन पहले की जाएगी.
आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर 'बहुत खराब' श्रेणी के तहत डीजल जनरेटर के उपयोग पर रोक लगाई जाएगी. इसके अलावा प्रतिबंधित
गतिविधियों में होटल, रेस्तरां और भोजनालयों में तंदूर में कोयला या जलाऊ लकड़ी का उपयोग शामिल है.
'गंभीर' श्रेणी में आकस्मिक या आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर एनसीआर में सभी निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी. इसमें एनसीआर में स्वच्छ ईंधन पर नहीं चलने वाले उद्योगों के संचालन को प्रति सप्ताह अधिकतम पांच दिन, ईंट भट्ठों को बंद करने के साथ ही खनन और संबंधित गतिविधियों पर प्रतिबंध भी शामिल होगा. दिल्ली-एनसीआर में सरकारें बीएस III पेट्रोल और बीएस- IV डीजल वाले हल्के मोटर वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा सकती हैं.
50 फीसदी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम
'अति गंभीर' श्रेणी के तहत ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध (आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वालों को छोड़कर) जैसे उपाय किए जा सकते हैं. इसके अलावा
GRAP में कहा गया है कि प्रदूषण स्तर 'अति गंभीर' श्रेणी तक पहुंचने पर राज्य सरकारें सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी कार्यालयों में 50% कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने का निर्णय ले सकती हैं. इस दौरान स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने, वाहनों को ऑड-ईवन आधार पर चलाने समेत अतिरिक्त आपातकालीन उपायों पर भी विचार कर सकती हैं.
स्थायी समाधान के लिए मांगे गए थे सुझाव
वायु प्रदूषण की समस्या के स्थायी समाधान के लिए पिछले साल दिसंबर में आयोग ने जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे थे. इसके बाद 7 जनवरी को एक नौ सदस्यीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया. इसमें पांच व्यापक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाली नीति तैयार की गई, जिसमें उद्योग के लिए किफायती स्वच्छ ईंधन और प्रौद्योगिकी तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करना शामिल था. इस दौरान दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बागपत, पंजाब और हरियाणा के गैर-एनसीआर जिलों के लिए अलग-अलग सुझाव दिए थे.
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