दिल्ली के प्रीत विहार के जिम मालिक की सनसनीखेज हत्याकांड की गुत्थी क्राइम ब्रांच ने सुलझा ली है. इस केस में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. लगातार पूछताछ के बाद आरोपियो ने किया बड़ा खुलासा.
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राज कुमार भाटी/नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर, एनडीआर/क्राइम ब्रांच, दिल्ली की टीम ने दिल्ली के प्रीत विहार के जिम मालिक की सनसनीखेज हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ली है. मृतक की हथियारबंद हमलावरों ने उस समय बेरहमी से हत्या कर दी थी, जब वह दिल्ली के प्रीत विहार स्थित अपने कार्यालय में बैठा था. दोनों आरोपी केस FIR नंबर 426/22 यू/एस 302/34 आईपीसी और 25/27/54/59 आर्म्स एक्ट, पीएस प्रीत विहार, दिल्ली में वांछित थे.
इस मामले में दो आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी के साथ पहला इंदर वर्धन शर्मा, 36 वर्षीय निवासी बेगमाबाद, मोदी नगर, उत्तर प्रदेश और दूसरा रवि कुमार, 30 वर्षीय शुक्रताल, जिले का रहने वाला है. 31 दिसंबर को एक चश्मदीद गवाह की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था जिसने बताया कि वो महेंद्र अग्रवाल के जिम में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. उसके बयान के अनुसार, दो व्यक्ति हाथों में हथियार लिए महेंद्र अग्रवाल के कार्यालय में घुसे और उन पर कई राउंड फायरिंग की और उन्हें खून से लथपथ छोड़कर मौके से फरार हो गए. घायल महेंद्र अग्रवाल को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
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प्रारंभिक जांच में पता चला कि इंदर वर्धन शर्मा मृतक महेंद्र अग्रवाल द्वारा चलाए जा रहे जिम में मैनेजर के तौर पर काम करता था. यह भी पता चला कि इंदर वर्धन शर्मा और महेंद्र अग्रवाल के बीच वेतन और अन्य पैसों के लेन-देन को लेकर कुछ विवाद हुआ था. उस समय महेन्द्र अग्रवाल ने इंदर वर्धन शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज कराया और उन्हें उस मामले में गिरफ्तार किया गया था.
जांच के अनुसार, इस मामले में मुख्य संदिग्ध इंदरवर्धन शर्मा था जो घटना के बाद से फरार था. घटना की तारीख से आरोपित बार-बार ठिकाना बदल रहे थे. आरोपियों की तलाश में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में कई जगह छापेमारी की गई. तकनीकी निगरानी की गई, स्थानीय जानकारी विकसित की गई और कई ठिकानों पर टीमों को तैनात किया गया. इसके अलावा, गुप्त सूचना मिली थी कि आरोपी व्यक्ति भारत-नेपाल सीमा पर रक्सौल के रास्ते देश छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
आरोपी व्यक्तियों की तलाश में एक टीम भारत-नेपाल सीमा पर गई. टीम के सर्वोत्तम प्रयास के परिणाम सामने आए और दोनों आरोपी व्यक्तियों अर्थात् इंदर वर्धन शर्मा और रवि कुमार को भारत-नेपाल सीमा से देखा और गिरफ्तार किया गया. लगातार पूछताछ पर दोनों आरोपियों ने उक्त हत्याकांड में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है. इसके बाद उन्हें कानून की उपयुक्त धारा के तहत गिरफ्तार किया गया है.
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लगातार पूछताछ पर आरोपी इंदरवर्धन शर्मा ने खुलासा किया है कि उसने लंबे समय तक महेंदर अग्रवाल के साथ काम किया था और लगभग रुपये का निवेश भी किया था. अपनी गाढ़ी कमाई का 4.75 लाख महेंद्र अग्रवाल के व्यवसाय में लगा दी, लेकिन महेंद्र अग्रवाल लंबे समय से बकाया वेतन और अन्य राशि का भुगतान नहीं कर रहे थे. आरोपी ने आगे खुलासा किया कि साल 2017 में जब उसने उससे वेतन और अन्य बकाया की मांग की तो महेंद्र अग्रवाल ने कोई ध्यान नहीं दिया. आरोपी इंदरवर्धन शर्मा ने गुस्से में आकर महेंद्र अग्रवाल से झगड़ा किया और अपहरण का प्रयास किया.
आरोपी ने आगे बताया कि महेंद्र अग्रवाल की शिकायत पर इंदरवर्धन शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और उन्हें उस मामले में गिरफ्तार किया गया था. अभियुक्त इंदरवर्धन शर्मा ने आगे खुलासा किया कि इस घटना के बाद उसकी मां परेशान हो गई और इस सदमे को सहन नहीं कर सकी और इस आघात के कारण उसकी मृत्यु हो गई. उसी दिन से आरोपी इंदरवर्धन शर्मा महेंद्र अग्रवाल से रंजिश रखता था और उसे खत्म करना चाहता था.
आरोपी ने आगे बताया कि उन्होंने हथियारों की व्यवस्था की और अपने सहयोगियों रवि कुमार और विजय के साथ अपनी योजना पर चर्चा की. उसके दोनों साथी दोस्ती की खातिर तैयार हो गए. घटना के दिन विजय उन्हें कार में बिठाकर महेन्द्र अग्रवाल के कार्यालय ले गया. इंदरवर्धन शर्मा और रवि दोनों महेंद्र अग्रवाल के ऑफिस के अंदर गए और अंधाधुंध फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी. उसके साथी विजय बाहर कार में इंतजार कर रहे थे. हत्या करने के बाद तीनों वहां से भाग गए और छिप गए और यूपी और उत्तराखंड से नेपाल में घुसने की योजना बनाई.