Sirsa Farmer News: सिरसा जिला में अब गेहूं की कटाई अंतिम दौर में पहुंच चुकी है. लगभग 60 से 70 फीसदी गेहूं की आवक और खरीद हो चुकी है. ऐसे में अब किसानों के खेतों में गेहूं की फसल नाम मात्र ही रह गई है, लेकिन अब गेहूं की कटाई तकरीबन खत्म होने के चलते अब जिला प्रशासन भी किसानों को गेहूं के अवशेष नहीं जलाने के प्रति जागरूक कर रहा है. सिरसा जिला के किसानों ने भी एक अच्छी मिसाल पेश की है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें: Delhi Crime News: दिल्ली में पनप रहे अपराध की जड़ काट रही क्राइम ब्रांच की टीम, नागर गैंग का शार्प शूटर किया गिरफ्तार


 


वहीं गेहूं की अवशेष जलाने को लेकर जिला प्रशासन सख्ती भी दिखा रहा है. बकायदा सिरसा जिला प्रशासन ने धारा 144 लगा दी है. अगर कोई भी किसान गेहूं के अवशेषों में आग लगाते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल प्रशासन किसानों को चेतावनी देने के साथ साथ गांवों में कृषि विभाग और ग्राम पंचायतों के सहयोग से जागरूक भी कर रहा है. जिला प्रशासन के जागरूकता अभियान से किसान भी प्रेरित दिखाई दे रहे हैं.


सिरसा जिले में गेहूं की कटाई ने अंतिम दौर में जोर पकड़ लिया है. अंतिम दौर में गेहूं के अवशेषों में किसान आग नहीं लगाए, इसके लिए भी सिरसा जिला प्रशासन ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है. इसके साथ ही सिरसा जिला प्रशासन किसानों को अवशेषों में आग नहीं लगाने के प्रति जागरूक भी कर रहा है. सिरसा उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने गेहूं के अवशेषों को जलाने पर जनहित में दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के तहत तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं. जिससे पर्यावरण दूषित न हो.


अब सिरसा उपायुक्त द्वारा जारी किए गए आदेशों का असर दिखने लगा है. क्षेत्र के किसान गेहूं के बचे हुए अवशेषों की तुड़ी बनाने में जुटे हैं और अन्य किसानों को अवशेषों में आग नहीं जलने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं.


सिरसा उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने कहा कि अभी गेहूं की कटाई चल रही है. इसलिए हर साल की तरह इस साल भी किसान गेहूं के अवशेष न जलाएं. इसके लिए धारा 144 को लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि किसान पराली प्रबंधन के उपाय अपनाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं. उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए काम में आने वाली मशीनों पर सरकार सब्सिडी देती है. वहीं पराली प्रबंधन करने वाले किसान को प्रति एकड़ हजार रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है.


किसान बलदेव सिंह, विशाल और गोबिंद ने बताया कि पिछले कई सालों से वह फसल कटाई के बाद फसलों के अवशेष की तुड़ी बनाते हैं और दूसरे किसानों को भी यही संदेश देते हैं कि फसल कटाई के बाद अवशेषों को न जलाएं. इसकी तुड़ी बनाकर पशुओं के चारे के काम में लाएं. अन्य किसान भी अवशेषों को आग लगाकर पर्यावरण को दूषित न करें.


Input: Vijay Kumar