Haryana Farmer: ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के बिलों में वृद्धि, राज्य सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों को बंद किये जाने और ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन पर सरकार द्वारा कब्जा किये जाने को लेकर किसान आज कैथल स्थित राज्य मंत्री कमलेश ढांडा के आवास पर पहुंचे.
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विपिन शर्मा/कैथल: कैथल में राज्यमंत्री कमलेश ढांडा के निवास स्थान के बाहर सैकड़ों की संख्या में पहुंचे. किसानों ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की करते हुए बैरिकेडिंग को तोड़कर निवास स्थान के आगे प्रदर्शन शुरू कर दिया. बता दें कि सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा हुए किसानों ने जैसे ही राज्यमंत्री निवास की ओर बढ़ना शुरू किया पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रोका. इस बीच में पुलिस और किसानों के बीच में लंबे समय तक धक्का-मुक्की हुई और आखिर में किसानों ने बैरिकेड को तोड़कर राज्य मंत्री के निवास स्थान के मुख्य गेट पर पहुंच गए.
बता दें कि जिला पुलिस के कर्मचारी भी बड़ी संख्या में तैनात थे, लेकिन किसानों के द्वारा बैरिकेडिंग पर हुई धक्का-मुक्की के आगे वह उन्हें रोकने में नाकामयाब रहे और किसान बड़ी संख्या में राज्यमंत्री के निवास स्थान के के मुख्य गेट पर पहुंच गए. किसान नेता महाबीर चहल ने बताया कि सरकार शिक्षा का खात्मा करने के लिए सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है. यदि सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे तो प्रदेश का भविष्य अंधकार में हो जाएगा. गांव-देहात का बच्चा आखिर पढ़ेगा तो पढ़ेगा कहां. वहीं गांव की पंचायत की शामलियत जमीन को सरकार अपने अधिकार में ले रही है. इससे ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े हुए किसानों के लिए बड़ा नुकसान होगा.
वहीं तीसरा मुद्दा ग्रामीण क्षेत्र में बिजली के बिल के बढ़ते अमाउंट के विरोध के बारे में है, जिसको लेकर ग्रामीण क्षेत्र के मजदूर परिवार और किसान परिवार अदायगी करने को लेकर काफी परेशान है, लेकिन सरकार समाधान की बजाए चुप्पी साधे हुए हैं. इन्हीं तीनों मुद्दों को लेकर आज किसान राज्यमंत्री कमलेश ढाड़ा के निवास के स्थान के बाहर प्रदर्शन कर रहा है. वहीं किसान नेता होशियार गिल ने बताया कि पंचायत की सवालात भूमि बहुत पुरानी जमीन है, लेकिन सरकार की अब इस पर गलत नजर होने के कारण अपने अधिकार क्षेत्र में लेना चाहती है, जिससे किसान परिवारों को बड़ा नुकसान होगा. वहीं किसान लखविंदर ने बताया कि हमारी सरकार से यही मांग है कि किसान मजदूरों के हित पर काम करें ताकि किसान, मजदूर को परेशानियों का सामना न करना पड़े. हम भी नहीं चाहते कि हर रोज धरना प्रदर्शन करना पड़े, लेकिन जानबूझकर सरकार और सरकार के नुमाइंदे किसान मजदूर को नजरअंदाज कर रहे हैं. इस कारण हमें लगातार प्रदर्शन कर आवाज बुलंद करने की जरूरत पड़ती है.