हरियाणा के आंदोलन के इतिहास में पहली बार हजारों किसान ने गांधीगिरी सत्याग्रह के तहत अपनी 17 मांगें पूरी करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल को फूल भेजकर प्रार्थना किया. पुलिस कर्मियों को भी राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल के नेतृत्व में किसानों और महिलाओं ने फूल भेटकर अनोखी गांधीगिरी का उदाहरण प्रस्तुत किया.
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बहादुरगढ़ः भारत भूमि बचाओ संघर्ष समिति अध्यक्ष रमेश दलाल के नेतृत्व में हजारों किसानों का धरना केएमपी मांडोठी टोल पर 72वें दिन भी जारी रहा. धरने से हजारों किसान और महिला ट्रैक्टर में बैठकर झज्जर उपायुक्त कार्यालय गांधीगिरी सत्याग्रह के तहत फूल और गुलदस्ते लेकर रवाना हुए. हरियाणा के आंदोलन के इतिहास में पहली बार हजारों किसान ने गांधीगिरी सत्याग्रह के तहत अपनी 17 मांगें पूरी करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल को फूल भेजकर प्रार्थना की. पुलिस कर्मियों को भी राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल के नेतृत्व में किसानों और महिलाओं ने फूल भेटकर अनोखी गांधीगिरी का उदाहरण प्रस्तुत किया.
उपायुक्त झज्जर शक्ति सिंह को फूल और गुलदस्ते भेंटकर गांधीवादी प्रदर्शनकारियों ने सरकार से आग्रह किया कि जमीन अधिग्रहण का मूवावजा कोडियो के भाव बाजार मूल्य से कम दिया है. सरकार ने 54 लाख तक का मुआवजा दिया जबकि बहादुरगढ़ और आसपास में 10 करोड़ से 25 करोड़ रुपये प्रति एकड़ का बाजार मूल्य चल रहा है. राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल के नेतृत्व में हजारों किसानों और महिलाओं ने फूल लेकर डीसी झज्जर के कार्यालय पर गांधीगिरी के तहत शांतिपूर्वक प्रार्थना करते हुए प्रदर्शन किया. उपायुक्त झज्जर शक्ति सिंह के माध्यम से मुख्यमंत्री को फूल भेजकर आग्रह किया कि मुख्यमंत्री अपने मुआवजा बढ़ाने के वायदे को पूरा करे.
बता दें कि मुख्यमंत्री दो बार किसानों से मिलकर सभी 17 मांगो को स्वीकार करने का अधिकारियों को आदेश दे चुके है. इस गांधीगिरी सत्याग्रह के बाद भी यदि सरकारी अधिकारियों और सरकार ने अड़ियल रवैया अपनाया तो किसान आर-पार के आंदोलन की शुरुआत करेंगे, जिसके तहत गुरुग्राम और दिल्ली के पानी की सप्लाई, राष्ट्रीय और रेल मार्गों को रोकना, हरियाणा के टोल टैक्स को फ्री करना और हरियाणा को एक दिन के लिय बंद करना इत्यादि शामिल है. आज राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल के नेतृत्व में उपायुक्त कार्यालय पर गांधीगिरी करने के लिए हजारों किसान और महिला हाथ जोड़कर प्रदर्शन करते रहे.
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हरियाणा की जनता के सारे आंदोलन आज तक प्रचंड और उग्र होते आए हैं. आज पहली बार गांधीगिरी से सत्याग्रह का हरियाणा में पहली बार अनोखा प्रदर्शन हुआ. मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को फूल भेजकर किसानों की सभी 17 मांगे पूरी करवाने का आग्रह किया जाएगा. रमेश दलाल ने बताया कि यदि गांधीगिरी से भी मुख्यमंत्री अपना वायदा पूरा नहीं करते तो किसान रोड, रेल, गुरुग्राम और दिल्ली का पानी भी रोकेंगे. इसके अतिरिक्त विधानसभा और संसद का घेराव भी करेंगे. हरियाणा बंद भी एक दिन के लिए किया जाएगा.
सरकार द्वारा गठित कमेटी को मुआवजे को बढ़ाने की घोषणा 9 मार्च तक करनी थी, लेकिन आज तक कमेटी मुआवजा बढ़ाने की घोषणा नहीं कर पाई. राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल ने कहा कि कुछ अधिकारी अपने को मुख्यमंत्री से ऊपर समझते है. मुख्यमंत्री की घोषणाओं को पूरा नहीं करके मुख्यमंत्री के खिलाफ एक साजिश के तहत काम कर रहे है. इसका एक कारण सरकार का अधिकारियों पर दबाव बहुत कम है.
राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश का पालन नहीं करते मुख्यमंत्री के कार्यालय के कुछ अधिकारी. इस प्रकार कुछ अधिकारी एक साजिश के तहत मुख्यमंत्री का जनता में अपमान करने का मैसेज दे रहे हैं. ऐसे अहंकारी अधिकारी अपने आप को समझते हैं कानून और मुख्यमंत्री से ऊपर और इसके परिणाम स्वरूप प्रजातंत्र कमजोर पढ़ेगा. ये कुछ अधिकारी माननीय मुख्यमंत्री के सम्मान और विश्वसनीयता को हरियाणा की जनता मे कम करने का काम लगातार कर रहे हैं.
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आज किसानों को आंदोलन करते दो महीने से ज्यादा का समय हो गया है. अधिकारी इतने सुसत हैं की कोई भी जनहित का कार्य बहुत धीमी गति से करते हैं. इसी कारणों से जनता का गुस्सा भाजपा सरकार के खिलाफ बढ़ता जा रहा है. राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि ऑर्बिट रेल कॉरिडोर का मुआवजा मुख्यमंत्री मनोहर लाल के वायदे के अनुसार जल्दी ही बढ़ने वाला था, लेकिन कुछ अधिकारियों के दबाव में अधिकारियों ने नाममात्र का मुआवजा बढ़ाने की कोशिश की, जिसको रमेश दलाल ने कड़ा विरोध करके ठुक्तरा दिया था.
उन्होंने कहा कि होली और दुलेहड़ी को भी रमेश दलाल की सरकार के साथ वार्ता का दौर चलता रहा था. रमेश दलाल केंद्र और हरियाणा सरकार किसानों की समस्याओं के बारे में बार-बार अवगत करवा चुके है फिर भी अधिकारी फाइलों पर बैठकर सोते रहते हैं.
(इनपुटः विनोद लांबा)