हरियाणा की आबोहवा एक बार फिर से जहरीली होने लगी है. हवा में धुआं और धूल के कणों से शाम को धुएं का स्मॉग बनने लगा है. इस बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण पंजाब व हरियाणा में जलाए जा रहे है. धान के अवशेष यानी पराली को माना जा रहा है. कल सोमवार को फसल अवशेष जलाने के 17 मामले सामने आए है. जबकि, जिले में अब तक 58 मामले समाने आ चुके है. अभी तक फसल अवशेष जलाने वालों से कुल 85 हजार रुपए जुर्माना वसूला जा चुका है. 4 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है.
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कमरजीत सिंह विर्क/करनालः करनाल में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ ही साथ हवाएं भी जहरीली हो गई हैं. इस वजह से लोगों की आंखों में जलन और सांसों में घुटन महसूस होने लगी है. सोमवार शाम को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जिससे लोगों को इन परेशानियों का सामना करना पड़ा. यह हाल खाली करनाल का नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इस समय प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगी है.
करनाल बीते रविवार को फसल अवशेष जलाने के 17 नए मामले सामने आए हैं. अभी तक फसल अवशेष जलाने वालों से कुल 85 हजार रुपये जुर्माना वसूला जा चुका है. 4 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है. रविवार को फसल अवशेष जलाने के मामले में बढ़ोत्तरी होती है, जिले में अब तक 58 मामले आगजीन के सामने आए है. जो पिछले साल की तुलना में काफी कम है.
पराली न जलाने वाले किसान को सरकार दे रही 1 हजार रुपये कृषि विभाग के उपनिदेशक आदित्य डबास ने बताया कि अगर कोई किसान पराली नहीं जलाएगा सरकार उस किसान को प्रति एकड़ के हिसाब से 1 हजार रुपए देगें. अगर कोई किसान पराली जलाता है उससे अढ़ाई हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जर्मुना लगाया जाएग.
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उन्होंने आगे बताया कि अगर किसान जुर्माना नहीं भरता तो उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई. अब किसान को देखना है वह पराली न जला कर 1 हजार रुपये लेता है या फिर जला कर अढाई हजार रुपये देता है. पराली जलाने में निसिंग अंसध व निलोखेड़ी में सबसे ज्यादा आगजनी के मामले सामने आ रहे है. हमने 32 हजार एकड़े के लिए डिकम्बोंज सहित बहुत सारे उपकरण किसानों को उपलब्द करवा गए है.
डबास ने बताया कि इस समय प्रदूषण बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण पराली जलाना है. इसके साथ ही हवा में नमी रहने से धुआं व धूल के कण ऊंचाई पर जाने के बजाए निचले लेवल पर ही तैरते रहते हैं. फसल कटाई से उठने वाले धूल के कण भी हवा में फैल गए हैं. यह समय ही ऐसा है. एक तो मौसम बदलाव करता है दूसरा जीरी कटाई और पराली जलाने के मामले होते हैं. फिलहाल करनाल का प्रदूषण स्तर अन्य जिलों से कम है. इसे हम जल्द ही कंट्रोल कर लेगें.