22 करोड़ की लागत का गेंहू कैथल में हुआ खराब, विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) की खाद्य सुरक्षा योजना (Food Security Scheme) के तहत गरीबों को हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं केंद्र सरकार की तरफ से और 5 किलो गेहूं राज्य सरकार की तरफ से दिए जाते है.
विपिन शर्मा/ नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) की खाद्य सुरक्षा योजना (Food Security Scheme) के तहत गरीबों को हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं केंद्र सरकार की तरफ से और 5 किलो गेहूं राज्य सरकार की तरफ से दिए जाते है. जिससे कि देश का कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे और कुपोषण का शिकार ना हो, लेकिन हरियाणा के कैथल में कुछ अधिकारी सरकार द्वारा जारी इस जनहित योजना को पलीता लगा रहे हैं. इन अधिकारियों की वजह से विपक्ष ने सरकार को घेरा है, इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा, सांसद रणदीप सुरजेवाला आदि कई नेताओं ने इस मामले की हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच कराने की मांग की है.
बता दें कैथल में 11 हजार मीट्रिक टन और पूरे हरियाणा में लगभग 43,000 मीट्रिक टन गेहूं को सड़ाने का मामला फिर से तूल पकड़ रहा है. कैथल में मीडिया ने 2 अक्टूबर 2022 को इसका खुलासा किया था और कैथल उपायुक्त ने 8 अक्टूबर को मीडिया से बातचीत करते हुए बताया था कि इस पर 4 सदस्यों की कमेटी बनाई है और जो भी अधिकारी इसमें जिम्मेदार होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी. कमेटी की रिपोर्ट को दबा दिया गया जब मीडिया को इस रिपोर्ट के दस्तावेज हाथ लगे तो पता चला कि इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं को षड्यंत्र के तहत सड़ाने वाले जिम्मेदार अधिकारियों को बचा लिया गया है और सारा कसूर भगवान पर डाल दिया गया है. कहा गया था कि प्राकृतिक कारणों से गेहूं खराब हुआ है और और सभी संबंधित अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गई.
इसी वजह से कैथल की उपायुक्त डॉ संगीता तेतरवाल ने मीडिया से दूरी बना ली थी और अपने ऑफिस से मीडिया कर्मियों को सिक्योरिटी वालों के माध्यम से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. मीडिया में यह मामला आज सामने आया इस पर विपक्ष की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है कांग्रेस ने इस पर जमकर हमला बोला है.
मिली जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ से उच्च स्तरीय तीन सदस्यों की जांच कमेटी इस मामले की जांच करेगी और एक महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. कमेटी ने कैथल प्रशासन द्वारा जो 4 सदस्य कमेटी बनाई गई थी उसके फैसले को नकार दिया. चंडीगढ़ जांच कमेटी का कहना है कि क्लीनचट क्यों दी गई और इन अधिकारियों की पिछली पोस्टिंग जहां पर थी उसकी भी जांच होनी चाहिए.