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Haryana News: विभिन्न खापों ने देश में एक ही गोत्र के विवाहों को गैर कानूनी घोषित करने की मांग की है. इसके लिए खापों के प्रतिनिधियों ने हिन्दू मैरिज एक्ट में बदलाव करने और सरकार की तरफ से एक ही गोत्र में शादी को मान्यता नहीं देने की मांग की है. एक ही गोत्र में शादी का समाज पर कितना गलत प्रभाव होता है और समाज में खापों का कितना महत्व है ये बताने के लिए स्टेज एप की तरफ से सेफ हाउस 2 सीरीज का हिसार के सनसिटी सिनेमा में प्रिमियर किया गया. ये सीरीज 23 जुलाई को स्टेज एप पर रिलीज होगी. इसी की स्क्रीनिंग के मौके पर कई खाप प्रतिनिधि पहुंचे और पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने एक ही गोत्र में विवाह के के दुष्प्रभाव बताये और इस पर रोक लगाने की मांग की.
सेफ हाउस 2
सेफ हाउस 2 के क्रिएटर व डायरेक्टर रमेश चहल के अनुसार गांव, गोत्र, गुहाड़ के मुद्दे को उठाने और उत्तर भारत के युवाओं को अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं की याद दिलाने के उद्देश्य से सेफ हाउस 2 का निर्माण किया गया है. इसके माध्यम से खापों की जरूरत को समझाया गया है. उन्होंने कहा कि अगर देश में सिनेमा ने युवाओं को बिगाड़ा है तो सिनेमा से युवाओं को सुधारा भी जा सकता है. समाज व संस्कृति के महत्व को युवाओं तक पहुंचाने में ये सीरीज बड़ी महत्वपूर्ण साबित होगी. उन्होंने कहा कि देश का संविधान देश के रीति-रिवाजों और मान्यताओं का ही लिखित रूप है. मगर ये दुर्भाग्य है कि देश में ताज का इतिहास तो लिखा गया है लेकिन पगड़ियों व खापों का इतिहास नहीं लिखा गया है.
खापों के कारण नस्लें बची हुई हैं
इस मौके पर कंडेला खाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष टेकराम कंडेला ने कहा कि सर्वदलीय खापों के कारण ही उत्तर भारत में देश की नस्लें बची हुई हैं. एक ही गोत्र में शादी होने से नस्लें कमजोर होती हैं, इसलिए सरकार को एक ही गोत्र में विवाह को गैर कानूनी घोषित करना चाहिए. इसके लिए कई सालों से खापें मांग कर रही हैं और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को भी मांगपत्र सौंपे जा चुके हैं.
एक गोत्र में शादी के नुकसान
अंतरराष्ट्रीय जाट परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष नवीन नैन ने कहा कि सेफ हाउस 2 में बड़े अच्छे ढंग से दिखाया गया है कि एक ही गौत्र में शादी से क्या नुकसान हो रहा है और खापों ने समाज को किस तरहे से बांधे रखा था.वहीं दूसरी तरफ बॉलीवुड में समाज व संस्कृति को खराब करने वाली चीजें दिखायी जा रही हैं. एक ही गौत्र में शादी को मान्यता नहीं मिलनी चाहिए. सीरीज के मुख्य कलाकार बिन्द्र दनौदा ने कहा कि आज भी गांवों में मां, बाप और दादी का गौत्र छोड़कर शादी की जाती है. मगर युवा आकर्षण के कारण एक ही गौत्र में शादी करके गलत करते हैं. भारत में कोरोना महामारी में वायरस का भारतीयों पर असर कम इसलिए हुआ क्योंकि देश की नस्लें खापों के कारण आज भी काफी सुरक्षित हैं.
खापों ने बड़ी मांग
खापों ने समय-समय पर जरूरत के अनुसार कई सामाजिक मुद्दों को आपसी बातचीत में सुलझाया है और उन मुद्दों को अदालत तक जाने की जरूरत नहीं पड़ी. ऐसे ही सेफ हाउस में पगड़ी बनाम संविधान की कहानी दिखायी गयी है. गांव, गौत्र व गुहाड़ का मुद्दा जब अदालत में पहुंचता है तो क्या होता है, इसमें दिखाया गया है. उन्होंने बताया कि स्टेज एप ने हमेशा हरियाणवी संस्कृति को केन्द्र में रखकर कंटेंट तैयार किया है. हरियाणा बोली को सम्मान व संस्कृति को पहचान देने के लिए हर महीने कोई न कोई फिल्म या सीरीज एप पर जारी की जा रही है.