Haryana News Today: पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के चीफ इंजीनियर देवेंद्र दहिया ने इतने ज्यादा सैंपल फेल होना मुश्किल है, लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं कि सैंपल फेल हो जाते हैं.
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चंडीगढ़: हरियाणा में जल जीवन मिशन के तहत इकट्ठा किए गए पानी के सैंपल में आधे से ज्यादा सैंपल फेल पाए गए. जो बड़ा आंकड़ा है. इस मुद्दे पर पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के चीफ इंजीनियर देवेंद्र दहिया ने बताया कि हम ट्यूबवेल, नहरों आदि के जरिये पानी को फिल्टर कर और क्लोरीनेशन कर लोगों तक पहुंचाया जाता है. लोगों तक साफ पानी पहुंचे, इसके लिए कई तरह के उपाय भी किए गए हैं.
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हमारे कर्मचारी गांव के आखिरी छोर पर स्थित घरों में जाकर पानी के सैंपल लेते हैं और चेक करते हैं किस में क्लोरीन की मात्रा कितनी है. इस डाटा को रजिस्टर में लिखा जाता है. इसमें यह भी लिखा जाता है कि यह डाटा किस गांव से लिया गया है. इसके अलावा गांव के लोगों को भी पानी टेस्ट करने की किट दी जाती है, जिससे वह खुद भी पानी को चेक कर सकते हैं. यह सारा डाटा केंद्र सरकार की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.
इसके अलावा प्रदेश में एक स्टेट लैबोरेट्री, एक मोबाइल वैन लैबोरेट्री समेत कुल 44 लैबोरेट्री है, जिससे पानी की टेस्टिंग की जाती है और यह निश्चित किया जाता है कि लोगों तक साफ पानी पहुंचे. पानी के फेल हुए सैंपल को लेकर उन्होंने कहा कि हम पानी के टेस्ट दो तरीके से करते हैं. एक-केमिकल टेस्ट और दूसरा-बैट्रोलॉजिकल टेस्ट. पानी का केमिकल टेस्ट साल में दो बार प्री मॉनसून और पोस्ट मॉनसून में किए जाते हैं. इस टेस्ट में देखा जाता है कि पानी में केमिकल के तत्व न हों. अगर किसी ट्यूबवेल के पानी में केमिकल के तत्व पाए जाते हैं तो उस ट्यूबवेल को बंद कर दिया जाता है.
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दूसरा टेस्ट होता है बैट्रोलॉजिकल टेस्ट. यह टेस्ट नियमित तौर पर किया जाता है. अमूमन जब किसी पाइपलाइन में लीकेज आ जाती है तो पानी का सैंपल इस टेस्ट में फेल हो जाता है. इसके बाद तब तक यह टेस्ट जारी रखा जाता है, तब तक पानी का सैंपल पास न हो जाए.
प्रदेश में पानी के 66% सैंपल फेल होने पर उन्होंने कहा कि मैं इस बात पर विश्वास नहीं कर सकता कि इतने ज्यादा सैंपल फेल हो सकते हैं, लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं कि सैंपल फेल हो जाते हैं. जैसे कुछ दिनों पहले फरीदाबाद के गांव में कई सैंपल फेल हो गए थे. वहां पानी में केमिकल के पैरामीटर अलग थे. जब दोबारा सैंपलिंग की गई तो वह सैंपल पास हो गए. पानी के सैंपलों की सारी जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की जाती है. हो सकता है किसी ने किसी निश्चित स्थान का डाटा चेक किया हो और उसके आधार पर 66% का आंकड़ा निकाला हो, अन्यथा इतने सैंपल फेल होना मुश्किल है.
इनपुट : विजय राणा
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