Rohtak News: इंसान और जानवर में क्या फर्क होता है तो शायद आपको जवाब मिले कि जानवर चिंतन नहीं कर सकते, लेकिन इंसान अपने विचारों, भावनाओं, और अस्तित्व के बारे में सोच सकता है. वह अपना जीवन क्यों और किसलिए जीए, यह भी तय कर सकता है. दरअसल रोहतक के अजीत नांदल ने जब हॉकी खेलना छोड़ा तो उन्हें कोई राह नहीं दिख रही थी कि अब वह क्या करें, तभी पिता की दी सीख ने उन्हें एक ऐसा लक्ष्य दे दिया, जिसे स्वीकार करने के बाद आज अजीत के चर्चे हर ओर हो रहे हैं और वह खुद लोगों को एक अच्छी राह दिखा रहे हैं.


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दरअसल अपने लिए तो सब करते हैं, लेकिन दूसरों की खुशी के लिए करना ही असली मानवता है. कभी भारतीय हॉकी टीम के प्लेयर रह चुके अजीत नांदल ने एक नहीं, दो नहीं बल्कि 22 ऐसी गरीब बेटियों को गोद लिया है जो जीवन में कुछ करना चाहती हैं, लेकिन परिवार के कमजोर आर्थिक हालात की वजह से अपने सपनों का दम घोंट चुकी थीं.


अजीत नांदल ऐसी 22 बेटियों को घुड़सवारी सिखा रहे हैं. यही नहीं उनकी पढ़ाई पर होने वाला खर्च भी उठा रहे हैं. अजीत का कहना है कि उन्हें यह सब करके काफी अच्छा लगता है. उन्होंने 2017 में 22 बेटियों को गोद लिया था. उनकी खुद की एक बेटी है. इस तरह वह खुद को 23 बेटियों का पिता बताते हैं.


पिता की दिखाई राह पर चल रहे पूर्व हॉकी प्लेयर 
अजीत नांदल ने बताया कि जब उन्होंने हॉकी खेलना छोड़ा तो उनके पिता ने पूछा कि बेटा आगे क्या करोगे. इस पर अजीत ने पिता से ही पूछ लिया कि उन्हें क्या करना चाहिए. इस पर पिता बोले-अपने लिए तो सब करते हैं, लेकिन दूसरों के लिए करने में असली खुशी है, इसलिए ऐसी बेटियों के लिए काम करो जो आर्थिक हालात कमजोर होने की वजह से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. अजीत ने भी ऐसा ही किया. उन्होंने उसने अपने आसपास के गांव से उन गरीब बेटियों को चुना, जो गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं.अजीत ने ऐसी 22 बेटियों को गोद ले लिया और प्रण लिया की इन बेटियों की राह में उनके आर्थिक हालत आड़े नहीं आएगे और वह जो भी करना चाहती हैं, उनकी हर चाहत पूरी करेंगे.


इनपुट : राज टाकिया