बेटियों और नौकरी की कमी से हरियाणा में बढ़ रही कुंवारों की फौज, क्या पेंशन के 2750 रुपये से हल हो पाएगी असल समस्या?
Haryana News: हरियाणा में जागरूकता का अभाव, बेटियों की जन्मदर में कमी, युवाओं के पास नौकरी न होने समेत ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से युवाओं की शादियां नहीं हो रही हैं. ये मुद्दा अब राज्य सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है.
Haryana News: देश में हर घंटे 27000 से ज्यादा विवाह होते हैं. हर माह 8 लाख लोग और साल में 1 करोड़ लोग नए वैवाहिक जीवन की शुरुआत करते हैं, लेकिन एक सर्वे के मुताबिक हरियाणा राज्य में लाखों युवक विवाह बंधन में बंधने से वंचित रह गए है और उसका सबसे बड़ा कारण है लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या में भारी कमी.
सरकार भी कुंवारों की समस्याओं से अवगत है और मानती है कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या काफी कम है. इसीलिए सरकार ने अविवाहितों के लिए नई पेंशन योजना लागू करने की घोषणा भी की है, लेकिन अगर इस समस्या को लेकर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वो दिन दूर नहीं, जब हरियाणा के जाट लैंड को कुंवारा लैंड के नाम से जाना जाएगा.
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दरअसल हरियाणा के कई जिलों में लिंगानुपात तेजी से गिर रहा है. खासतौर से देश की राजधानी दिल्ली से जुड़े और उसके आसपास के क्षेत्र सरकार की चिंता बढ़ा रहे हैं. एनसीआर में पड़ते आठ जिलों में अब 1000 लड़कों के पीछे 900 से भी कम लड़कियां जन्म ले रही हैं. इनमें रोहतक, महेंद्रगढ़, सोनीपत, करनाल, चरखी दादरी, कैथल, भिवानी और गुरुग्राम भी शामिल हैं. इसी तरह सिरसा और फतेहाबाद में लिंगानुपात 931 है। कुरुक्षेत्र और झज्जर ने भी लिंगानुपात में बेहतर काम किया है, जहां सात महीने में लिंगानुपात 893 से 34 अंकों की छलांग लगाते हुए 927 पर पहुंच गया था जो फिर से गिरने लगा है.
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का भी नहीं पड़ा असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में पानीपत से राष्ट्रव्यापी अभियान 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' शुरू किया था. इसके बाद हरियाणा में 2019 में 1000 लड़कों पर लड़कियों का आंकड़ा बढ़कर 923 पर पहुंच गया था, लेकिन दिसंबर 2022 में प्रदेश में लिंगानुपात 917 तक पहुंच गया. संख्या में यह गिरावट अब भी जारी है. प्रदेश में लड़कियों की संख्या कम होने की वजह से प्रदेश में कुंवारों की संख्या लाखों में पहुंच गई है. हरियाणा में करीब साढ़े तीन साल के अंतराल में ही लिंगानुपात में 17 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई है. सात महीने में 293926 बच्चों का जन्म हुआ. इनमें से 154223 लड़के और 139703 लड़कियां हैं. इस दौरान फतेहाबाद, रोहतक, चरखी दादरी, गुरुग्राम, कैथल, करनाल, भिवानी, नूंह, पंचकूला, नारनौल और पलवल में लिंगानुपात में बड़ी गिरावट आई है.
लिंग जांच और भ्रूण हत्या का रैकेट
हरियाणा की सीमा से लगते पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में भ्रूण लिंग जांच धड़ल्ले से हो रही है. दलालों के जरिये गर्भवती महिलाओं को गुपचुप तरीके से अनजान जगह या फिर अस्पताल और क्लीनिक ले जाया जाता है. 30 से 40 हजार रुपये तक लेकर भ्रूण लिंग जांच की जाती है तो 80 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक में कोख में ही बेटी की हत्या की जा रही है. इसके अलावा, एमपीटी किट भी दवा विक्रेताओं के पास आसानी से उपलब्ध है. 250 से 500 रुपये के बीच की कीमत वाली इन किट को रैकेट चलाने वाले 1000 रुपये से 1500 रुपये के बीच बेच रहे हैं. पॉकेट साइज अल्ट्रा साउंड मशीनों की मदद से झोलाछाप लिंग जांच करते हैं. इसे रोकने के लिए सरकार ने सख्ती बढ़ाई थी और हर 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन फिर सब ठंडे बस्ते में चल गया और सेक्स रेश्यो गिरने लगा.
ज़ी मीडिया नेटवर्क से बात करते हुए, हिसार जिले के नारनौंद उपमंडल के माजरा पियाउ गांव के निवासी 43 वर्षीय वीरेंद्र सांगवान ने कहा कि हरियाणा में 40 वर्ष से अधिक उम्र के 7 लाख से अधिक एकल पुरुष हैं, जिनमें से कम से कम 5 लाख हैं उनके जाट समुदाय से हैं. सरकारी कॉलेज, हांसी से स्नातक सांगवान ने कहा, हमारे लिए समस्या विशेष रूप से गंभीर है, क्योंकि कोई भी अपनी बेटी की शादी तब तक करने को तैयार नहीं है, जब तक कि उसके पास अच्छी जमीन न हो या सरकारी नौकरी न हो.
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चार भाइयों में सबसे छोटे वीरेंद्र सांगवान ने बताया कि सबके पास बहुत ही थोड़ी जमीन है. कुछ लोग जिनके पास पैसा है, वे दूसरे राज्यों से दुल्हनें भी खरीद लेते हैं. ऐसी महिलाओं को मोल्की (खरीदी गई दुल्हन) कहा जाता है और उनके पतियों को हेय दृष्टि से देखा जाता है. कुछ मामलों में, ये महिलाएं “लूटो और भाग जाओ” गिरोह की सदस्य निकलीं, जबकि कई ने अपने पति के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने कहा, हमारे गांव माजरा में 40 वर्ष से अधिक उम्र के 100 से अधिक कुंवारे लोग हैं. हांसी के पास एक बड़े गांव सिसई में 400 से अधिक कुंवारे लोग है. एक समय के बाद हम जैसे लोगों को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि हम अपने भाइयों के परिवारों पर निर्भर हो जाते हैं. उन्होंने पंचायती राज संस्थानों में आरक्षण, विधवा पेंशन की तर्ज पर पेंशन और प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत (स्वास्थ्य देखभाल योजना) के तहत लाभ की भी मांग की है. उन्होंने एकल सदस्यीय परिवारों के लिए भी परिवार पहचान पत्र, गुलाबी राशन कार्ड (सबसे गरीब लोगों को प्रदान किए जाने वाले), तीर्थयात्राओं के लिए मुफ्त बस यात्रा समेत अन्य मांग की है.
अविवाहितों को नीची नजर से देखते हैं
इसी तरह, पेटवाड़ गांव के 40 वर्षीय वीरेंद्र सिंह दून ने कहा कि कुंवारा होने के कारण उन्हें समय पर दो वक्त का खाना भी नहीं मिल पाता है और लोग उन्हें नीची नजर से देखते हैं. किसी भी विवाह समारोह में दूसरे तो दूर घर वाले भी शामिल नहीं होने देते. अविवाहित लोगों के रहने-सोने का भी कोई ठिकाना नहीं रहता, जहां दो रोटी मिल जाए, वहीं पर सो भी जाते हैं. ऐसा लगता है कि उनका इस दुनिया में कोई नहीं. उन्होंने कहा कि उनकी मांगों में 40 वर्ष से अधिक आयु के सभी अविवाहित पुरुषों के लिए गणना शामिल है.
इतने कुंवारे है कि ट्रक भर जाएं
इसी तरह जींद के गांव अनूपगढ़ 44 वर्षीय अशोक कुमार ने कहा, परिवार में बाकी सदस्यों की शादी हो चुकी है. उनके पास बमुश्किल थोड़ी सी जमीन है. उन्होंने कहा, मैं अपने परिवार के खेतों में मजदूरों के साथ काम करता हूं, जबकि मेरे घर के अन्य सदस्य घर ही पर रहते हैं. यहां हम नाश्ता और दोपहर का खाना नहीं बल्कि सिर्फ एक वक्त का खाना खाते हैं. कभी कोई भी मेरे लिए भोजन नहीं लाता है और न कोई इज्जत की नजर से मेरी ओर देखता है. अगर मैं शादीशुदा होता तो मुझे इतना कष्ट नहीं झेलना पड़ता. उन्होंने कहा कि नारनौंद, जींद, हिसार व आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कुंवारे हैं. कई ट्रक भर लो, फिर भी बच जाएंगे।
किराये पर कमरा भी देने से बचते हैं लोग
हिसार के माजरा गांव के सरपंच रामकेश से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा, लगातार कमाई कम होना या नहीं होने के कारण कुंवारों की शादियों की संभावना कम हो गई है. सरकारी नौकरी पाना कठिन है. हमारे पड़ोस में निजी नौकरी के बमुश्किल कोई अवसर हैं. एक कुंवारे व्यक्ति के लिए किराये पर कमरा लेना भी मुश्किल है. इसके अलावा, अविवाहितों का मजाक उड़ाया जाता है, जिसके कारण न केवल गांव में बल्कि पूरे प्रदेश में कई हिंसक घटनाएं भी हुई हैं. जैसे कि अभी कुछ दिन पहले एक कुंवारे ने उसके खिलाफ आपतिजनक टिप्पणी करने के कारण अपने चचेरे भाई की हत्या कर दी. उन्होंने बताया कि कुंवारों के संगठन द्वारा पीएम को लिखे पत्र में कहा गया है चूंकि कन्या भ्रूण हत्या, बेरोजगारी और गरीबी हमारी स्थिति की वजह है, इसलिए सरकार को इसे खत्म करने के लिए कदम उठाना चाहिए. इस दिशा में प्रयासों की निगरानी के लिए एक आयोग या समिति का गठन करना चाहिए.
इसी तरह अपने कुंवारे बड़े भाइयों के दर्द को बयां करते हुए हिसार के मोनू माजरा ने कहा कि उनकी उम्र 24 साल है. उनकी शादी हो चुकी है पर उनके दोनों बड़े भाई कुंवारे हैं. मोनू की पत्नी अक्सर उससे कहती है कि कुंवारों का इस घर में क्या काम. इस बात पर मोनू और उनकी पत्नी में कई बार कहासुनी भी हो चुकी है. समाजसेवी जगदीप सिंधु का कहना है कि सरकार ने काफी प्रयास किए कि प्रदेश में लड़कियों की संख्या में इजाफा हो और लिंगानुपात की समस्या दूर हो. इसका असर भी धरातल पर दिखा पर धीरे धीरे यह असर कम होने लगा. युवकों के अविवाहित होने के पीछे लड़की वालों की सरकारी नौकरी और जमीन का मालिकाना हक वाले लड़के की मांग है।
जिनकी नहीं हुई है शादी उसे मिलेंगे हर माह 2750 रुपये
जब कुंवारों के संगठन ने प्रदेश में चुनावों को लेकर हुंकार भरी तो हरियाणा की बीजेपी सरकार ने नई पेंशन स्कीम शुरू करने का ऐलान कर दिया। योजना के मुताबिक यह पेंशन 45 से 60 साल तक के उन कुंवारों को मिलेगी, जिनकी किन्हीं कारणवश शादी नहीं हो सकी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस योजना के तहत उम्रदराज कुंवारों को हर महीने करीब 2750 रुपये देने की घोषणा की है. इस पेंशन पाने के लिए कुछ शर्तें भी हैं जैसे कि पेंशन सिर्फ उन्हीं कुंवारों को मिलेगी, जिनकी सालाना आमदनी 1.80 लाख रुपये से कम होगी. हरियाणा इस तरह की स्कीम लाने वाला पहला राज्य है.
उम्रदराज कुंवारों को पेंशन देने और इसमें सालाना आमदनी की शर्त रखने की भी दिलचस्प वजह है. दरअसल, हरियाणा में लिंग अनुपात यानी प्रति हजार लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या का मामला हमेशा ही काफी खराब रहा है. इससे हरियाणा में कई गरीब लड़कों की शादी नहीं हो पाती है. वहीं, अमीर लोग अपने लड़कों के लिए बहू तलाश ही लेते रहे हैं. लड़की वाले भी अमीरों के यहां ही अपनी बेटियों की शादी कराना चाहते हैं.