Haryana News: कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार की सोच है कि सरकारी स्कूलों में बच्चे आना बंद कर दें तो वे इन स्कूलों को बंद कर दे. इस सोच को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा योजनाएं बनाई जा रही है. चिराग योजना भी इनमें से ही एक है, जिसमें सरकारी स्कूलों के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है
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Haryana News: कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा ने आज कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की मंशा प्रदेश के सरकारी स्कूलों को बंद कराने की है, ताकि गरीब परिवारों के बच्चे पढ़-लिखकर आगे न बढ़ सकें. इसलिए न तो शिक्षकों के खाली पड़े पदों को भरा जा रहा है और न ही जरूरत के मुताबिक कमरों के निर्माण की ओर कोई ध्यान दिया जा रहा है. इसके साथ ही स्कूलों में बिजली, पानी, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में भी गठबंधन सरकार नाकाम रही है.
सरकार बंद करना चाहती है स्कूल
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार की सोच है कि सरकारी स्कूलों में बच्चे आना बंद कर दें तो वे इन स्कूलों को बंद कर दे. इस सोच को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा योजनाएं बनाई जा रही है. चिराग योजना भी इनमें से ही एक है, जिसमें सरकारी स्कूलों के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन समय पर दाखिले न करवाकर उन्हें शिक्षा से वंचित रखने की साजिश रची जा रही है. कभी छात्र-अध्यापक संख्या के अनुपात का नाम लेकर तो कभी सह शिक्षा के नाम पर स्कूलों को बंद करने का फरमान सुनाया जा रहा है. इसका मकसद धीरे-धीरे स्कूलों को बंद करना, शिक्षकों व स्टाफ के पदों को खत्म करना है. झज्जर जिले में एक भी स्कूल ऐसा नहीं है, जिसमें स्टाफ की कमी न हो. नई भर्ती करने की बजाए उन स्कूलों से भी स्टाफ का तबादला कर दिया, जिनमें छात्रों की संख्या काफी अधिक है. इसका मकसद सिर्फ यही है कि इन्हें गठबंधन सरकार स्थाई तौर पर बंद करना चाहती है.
नहीं की जा रही हैं व्यवस्थाएं
कुमारी सैलजा ने कहा कि कितने शर्म की बात है कि खुशहाल राज्यों में गिने जाने वाले हरियाणा में सरकारी स्कूलों की बुनियादी ढांचा चरमराया हुआ है. कहीं पर पेड़ों के नीचे कक्षाएं लग रही हैं, तो एक-एक कमरे में 3-3 कक्षाएं चल रही हैं. कितने ही स्कूल ऐसे हैं, जिनमें आज तक बिजली का कनेक्शन तक नहीं है. पीने के लिए भी छात्रों को अपने घरों से पानी लाना पड़ता है, जब यह खत्म हो जाता है तो प्यासे ही बैठे रहना पड़ता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गठबंधन सरकार की गलत नीतियों के कारण ही सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों के मुकाबले छात्रों की संख्या लगातार घट रही है. अगर खाली पड़े 25 प्रतिशत से अधिक पद तुरंत भरे जाएं, जरूरत के मुताबिक कमरों व भवन का निर्माण हो, तो इनमें छात्र संख्या बढ़ सकती है, लेकिन सरकारी स्कूलों को बंद करने की नियत के चलते इनमें न सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं और न ही स्टाफ की तैनाती की जा रही है.
गरीब बच्चे हो रहे प्रभावित
उन्होंने कहा कि सरकार नई-नई योजनाएं बनाकर गरीब बच्चों की शिक्षा प्रभावित कर रही है पहले 134 ए के नाम पर बच्चों को भटकने पर मजबूर किया, बच्चे दाखिले के लिए कभी बीईओ कार्यालय तो कभी स्कूल का चक्कर काटते रहे, अगर दाखिला मिल भी गई तो प्राइवेट स्कूल में ऐसे बच्चो पर ध्यान ही नहीं दिया जाता था, प्राइवेट स्कूल संचालक अपनी धनराशि के लिए भटकते रहे और एकजुट होकर सरकार को बार- बार चेताते रहे. अब सरकार ने चिराग योजना बनाकर अभिभावकों को गुमराह किया जा रहा है, योजनाओं का नाम बदलने से गरीब बच्चों को कोई लाभ नहीं मिलेगा, सरकार की नीयत और नीति ठीक हो तो गरीब बच्चें अच्छी शिक्षा के अधिकार से दूर नहीं रह सकते.