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NHM Hadtal: कैथल में नागरिक अस्पताल के बाहर नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के कर्मचारी 18 दिन से हड़ताल पर हैं. अपनी मांगों पर सुनवाई न होने पर सोमवार को शोक प्रकट करने के लिए पांच कर्मचारियों ने अपना सिर मुंडवाया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. कर्मचारियों का कहना है कि हम 25 साल से नौकरी पर हैं, लेकिन आज भी कच्चे हैं. हमें यह नहीं पता होता कि अगली सुबह हम काम पर जाएंगे तो नौकरी रहेगी या नहीं. हमारे परिवार का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है.
नौकरी की सुरक्षा मांगी
हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने कहा कि हमारी सरकार से तीन मांग हैं.एक हमें पक्का किया जाए, जब तक पक्का नहीं किया जाता तब तक नौकरी की सुरक्षा दी जाए और तीसरी मांग यह है कि पक्के कर्मचारियों वाली सुविधा हमें भी दी जाए. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार से तीन बार वार्ता हो चुकी है परंतु कोई बात सिरे नहीं चढ़ी. सरकार लगातार अनदेखी कर रही है. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई, तब तक हड़ताल इसी तरह जारी रहेगी और आंदोलन को तेज किया जाएगा.
पत्र में बताया हड़ताल क्यों जरूरी
एनएचएम कर्मचारियों ने एक भी पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने बताया कि वह हड़ताल पर क्यों हैं. इसमें लिखा है- NHM कर्मचारी 1997 से RCH प्रोग्राम से जुड़े. फिर NRHM और अब NHM प्रोग्राम से जुड़कर स्टेट और डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सोसायटी के अंतर्गत संविदा पर सेवाएं दे रहे हैं. 2018 में पहली बार BJP सरकार ने NHM को सेवा नियम छठवे वेतन आयोग के अनुसार और सर्विस बुक प्रदान की थी. 2021 में NHM कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने की स्वीकृति मुख्यमंत्री ने दी.
सातवें वेतन आयोग के लाभ से वंचित
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार से स्वीकृति के बाद हाईकोर्ट में सातवें वेतन को लागू करने का एफिडेविट देने के 3 साल बाद भी सातवें वेतन आयोग का लाभ NHM कर्मचारियों को वित्त विभाग के अधिकारियों द्वारा नहीं दिया गया है. इसके अलावा वित्त विभाग छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन को consolidate करने के लिए और सेवा नियमों का लाभ रोकने के लिए बार-बार दबाव बना रहा है
हरियाणा वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के अनुसार 20-25 वर्षों से काम कर रहे NHM कर्मचारी बस "दिहाड़ीदार" हैं. इनको हरियाणा के अन्य नियमित कर्मचारियों जैसे महंगाई भत्ता, हाउस रेंट और अन्य सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए. NHM कर्मचारी प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं देखते हैं पर यदि ये या इनका परिवार बीमार हो जाए तो उन्हें हरियाणा के अन्य कर्मचारियों की तरह मुफ्त नहीं मिलतीं. अस्पताल में पर्ची के भी पैसे भी देने पड़ते हैं. NHM में 20-25 वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को ग्रेचुएटी, एक्स ग्रेशिया, earned leave, child care leave का लाभ बार-बार मांगने पर भी नहीं मिल रहा.
हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी
कर्मचारियों का कहना है कि हाईकोर्ट से आदेशों के बाद हरियाणा सरकार ने एनएचएम कर्मचारियों को cashless मेडिकल सुविधा देने की अनुमती दी थी. भारत सरकार से बजट का प्रावधान भी कराया गया, परंतु आज तक ये सुविधा NHM कर्मचारियों को नहीं दी गई और साल दर साल बजट लैप्स होता गया.
ठेका प्रथा आने वाली पीढ़ी के लिए भी खतरा
2003, 2011 और 2014 में हरियाणा सरकार द्वारा नियमितीकरण पॉलिसी बनाई गई पर 20-25 वर्ष से कॉन्ट्रैक्ट पर एक ही पद पर नौकरी करने के बाद भी NHM कर्मचारियों को पक्का नहीं किया गया. कर्मचारियों का कहना है कि ये ठेका प्रथा आने वाली पीढ़ी के लिए भी खतरा है. इसलिए इसका विरोध जरूरी है. कल किसी के भी बच्चे को संविदा आधार पर नौकरी न करनी पड़े, समानता का अधिकार सुरक्षित हो, इसलिए ये हड़ताल जरूरी है.
इनपुट: विपिन शर्मा