Haryana Farmers Protest: एक बार फिर किसानों का दिल्ली कूच, कल पैदल यात्रा कर पहुंचेंगे राजघाट
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Haryana Farmers Protest: एक बार फिर किसानों का दिल्ली कूच, कल पैदल यात्रा कर पहुंचेंगे राजघाट

Jhajjar Farmers News:  किसान संगठन के हरियाणा अध्यक्ष कर्मबीर दहिया ने बताया कि एसडीएम के साथ काफी देर तक उनकी वार्ता हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. उन्होंने कहा कि अब किसानों ने अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए दिल्ली कूच का फैसला किया है. 

Haryana Farmers Protest: एक बार फिर किसानों का दिल्ली कूच, कल पैदल यात्रा कर पहुंचेंगे राजघाट

Jhajjar News: हाईटेंशन लाईन को लेकर किसानों द्वारा पिछले सालभर से चलाया जा रहा आंदोलन अब ओर ज्यादा तेज होने वाला है. हाईटेंशन तार के लिए झज्जर के करीब तीन दर्जन गांवों से यह लाईन निकाली जानी है. जिसके लिए शासन और प्रशासन के साथ किसान संगठन की कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन किसी भी वार्ता में अभी तक किसानों को खेतों से निकाली जाने वाली लाईन के मुआवजे को लेकर समाधान नहीं निकला है.

किसान चाहते है कि मार्केट भाव से किसानों को मुआवजा दिया जाए. इसी के चलते सोमवार को भी एक किसान संगठन को एसडीएम द्वारा वार्ता के लिए बुलाया गया था, लेकिन काफी देर तक चली इस वार्ता में भी कोई समाधान नहीं निकल पाया. जिसके बाद किसानों ने एसडीएम कार्यालय से बाहर निकलकर अपनी नाराजगी नारेबाजी करके जाहिर की. 

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किसान संगठन के हरियाणा अध्यक्ष कर्मबीर दहिया ने बताया कि एसडीएम के साथ काफी देर तक उनकी वार्ता हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. उन्होंने कहा कि अब किसानों ने अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए दिल्ली कूच का फैसला किया है. वह मंगलवार को 11 बजे के करीब झज्जर से दिल्ली स्थित राजघाट के लिए पैदल ही दिल्ली कूच करेंगे. उम्मीद यहीं है कि किसानों के इस दिल्ली कूच में बहुतायत संख्या में भाग लेंगे. 

उन्होंने कहा कि वह विकास के अवरोधक नहीं है, लेकिन वह भी क्या करें. शासन और प्रशासन अडानी और अम्बानी को लाभ पहुंचाना चाहता है. खेतों से गुजरने वाली यह हाईटेंशन लाईन सरकारी नहीं है. यह लाईन प्राईवेट कम्पनियों की है और प्रशासन और शासन इन्हीं कम्पनियों को लाभ पहुंचाना चाहता है. उन्होंने कहा कि हाईटेंशन तार के लिए लाईन बिछाने का काम करने से झज्जर जिले के करीब तीन दर्जन गांवों से यह लाईन होकर गुजरनी है. यहां का किसान चाहता है कि उन्हें बाजार भाव से इसका उचित मुआवजा मिले, लेकिन अपने मन मुताबिक जो मुआवजा देने का जो फैसला किया गया है. वह किसानों को कतई मंजूर नहीं है. इसके लिए किसान हर हाल में अपना आंदोलन उग्र करने को तैयार है. 

Input: सुमित कुमार