Haryana News in Hindi : रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून. रहीम के इस दोहे का सीधा सा अर्थ है कि पानी को बचाकर रखिए, क्योंकि पानी के बिना सब व्यर्थ है. ये दोहा हरियाणा खासकर गुरुग्राम जैसे शहरों के लिए सच साबित होता दिख रहा है. कारण भी एक नहीं, साल दर साल बढ़ती आबादी, कंस्ट्रक्शन और इंडस्ट्री के विस्तार से धरती सूखती जा रही है. आईआईटी-दिल्ली और नासा के हाइड्रोलॉजिकल साइंसेज लैबोरेटरी के एक शोध से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इसके मुताबिक हरियाणा और पंजाब में 2003 से 2020 के बीच 17 वर्षों में 64.6 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल घट गया है. ये पानी इतना है कि इससे ओलंपिक साइज के 2.5 करोड़ स्विमिंग पूल को भरा जा सकता है. 


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भारत में भूजल की कमी का पता लगाना और सामाजिक आर्थिक कारण' शीर्षक वाला यह शोध 14 अक्टूबर को हाइड्रोजियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हो चुका है. शोधकर्ताओं के मुताबिक भारत में भूजल के गिरते स्तर की बड़ी वजह उद्योगों और शहरीकरण का बढ़ना, कृषि गतिविधियां और जनसंख्या वृद्धि हैं. भूजल की कमी से कृषि प्रधान हरियाणा पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. फसलों की पैदावार में गिरावट आ सकती है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी खराब होती है.


भूजल में गिरावट वाले पांच हॉटस्पॉट 


शोधकर्ताओं ने देशभर में भूजल स्तर के विश्लेषण के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB), भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), साइट निरीक्षण, सैटेलाइट और हाइड्रोलॉजिकल मॉडल के डाटा का अध्ययन किया. शोध पत्र के मुताबिक देश में भूजल की सबसे ज्यादा कमी वाले पांच हॉटस्पॉट को शॉर्टलिस्ट किया गया. इस लिस्ट में पंजाब-हरियाणा सबसे ऊपर हैं, इसके बाद यूपी, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और केरल हैं.


तेजी से हो रहा विकास बन रहा बाधक  


अध्ययन के दौरान पाया गया कि इन पांच हॉटस्पॉट में सिंचाई कार्य भूजल खपत का सामान्य कारण है, लेकिन पंजाब और हरियाणा में अन्य संभावित कारणों में उद्योगों का विस्तार, जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण शामिल हैं. 


तीन दशक में ढाई गुना बढ़ गईं फैक्ट्रियां 


आंकड़ों के मुताबिक 2000 से 2015 तक पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर में 8-10% की कमी दर्ज की गई. इन राज्यों में 2004-2005 के दौरान फैक्ट्री की वृद्धि दर 69% थी, जो 2018-2019 तक आते-आते 170% हो गई. इसी तरह 2001 में शहरीकरण की वृद्धि दर 10% थी, जो 2011 तक 20% पर पहुंच गई. 2001 से 2011 के दौरान शहरी आबादी का प्रतिशत 10%-20% तक बढ़ गया है. इसके अलावा घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए भूजल की मांग में 26% -228% की बढ़त दिखाई दी है. 


गुरुग्राम के इन इलाकों में हालात गंभीर  


केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) के मुताबिक गुरुग्राम में भूजल स्तर की स्थिति 2013 से गंभीर बनी हुई है. यहां ज्यादातर मॉल, दफ्तर और आवासीय कॉलोनियों वाले इलाकों में भूजल की खपत अधिक है. उद्योग विहार के कपड़ा और विनिर्माण इकाइयों जैसे कई उद्योग भूजल पर निर्भर हैं. चक्करपुर और नाथूपुर जैसे इलाकों में ऊंची-ऊंची बिल्डिंग के अलावा बड़ी संख्या में झुग्गी भी है, जिसकी वजह से यहां जमीन, पानी समेत अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव ह


पाइप से जलापूर्ति की कमी से परेशानी 


हरियाणा का एक बड़ा हिस्सा पाइप से जलापूर्ति से अछूता है और अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भूजल पर निर्भर है. हरियाणा के लोग न केवल खेती के लिए बल्कि रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए भी भूजल पर निर्भर हैं, जो भूजल की कमी का मुख्य कारण है. 


जल संरक्षण की आवश्यकता


भूजल में कमी से निपटने के लिए जल संरक्षण अत्यंत आवश्यक है. हमें जल का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। वर्षा के पानी को संचित करने, रिसाइक्लिंग और रीयूज जैसी तकनीकों का उपयोग करके हम पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके.