Health Update: मातृ एवं शिशु से जुड़े कार्यों में पुरुषों को शामिल करना जरूरी, निभाएंगे ये अहम भूमिका
Health Update: जमीनी स्तर पर कुपोषण और एनीमिया की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए इस सम्मेलन के दौरान इस क्षेत्र में हुई तकनीकी प्रगति को अपनाने पर जोर दिया गया.
Health Update: मातृ शिशु स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था सुकार्य के नेतृत्व में दिल्ली के सभागार में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में एनीमिया और कुपोषण की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण निष्कर्षों पर चर्चा की गई, भारत में मातृ शिशु स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था सुकार्य ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें एनीमिया और कुपोषण को मिटाने पर चर्चा हुई. इसके साथ सम्मेलन में सार्वजनिक स्वास्थ्य, समाज और जनसंख्या के विकास को कैसे प्रभावित करता है.
कुपोषण और एनीमिया के बढ़ती समस्या
देश में कुपोषण और एनीमिया के बढ़ती समस्या से निपटने में मदद के लिए अनुसंधान और कार्यक्रमों से प्राप्त महत्वपूर्ण निष्कर्षों पर चर्चा की गई. सम्मेलन का आयोजन सुकार्य द्वारा एनसीईएआर- ए, आईएफपीआरआई, जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, डिपार्टमेंट का ग्लोबल हेल्थ, यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन और ग्लोबल वाशिंगटन के साथ साझेदारी में किया गया.
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यह सम्मेलन प्रमुख मुद्दों पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों, शिक्षकों और समुदाय के प्रतिनिधियों को एक मंच पर साथ लेकर आया और मातृ शिशु स्वास्थ्य जहां पोषण पर मीरा सतपथी, फाउंडर एंड चेयरपर्सन सुकार्य ने बताया कि देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए विविध संस्थाओं एवं संस्थानों में साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण है, जिसके साथ सामाजिक विकास जुड़ा है.
महिलाओं व बच्चों पर इसके प्रभाव को कम करना
उन्होंने बताया कि हमारे सम्मेलन का उद्देश्य हितधारक साझेदारी और एनीमिया के मामलों और महिलाओं व बच्चों पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए अनुसंधान, कार्यक्रम डिजाइन, कार्यान्वयन के सभी चरणों में समुदायों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाना है. सुकार्य ने भारत के 760 गांवों में 70,00,000 महिलाओं और बच्चों तक अपनी पहुंच बनाई है. मातृ शिशु स्वास्थ्य और पोषण के महत्व पर संवाद और स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से समुदायों को जोड़ना जारी रखा है. हालांकि, जमीनी स्तर पर कुपोषण और एनीमिया की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए इस सम्मेलन के दौरान इस क्षेत्र में हुई तकनीकी प्रगति को अपनाने पर जोर दिया गया. सभी प्रतिभागियों के लिए तकनीकी अंतर्दृष्टि को वीडियो, टूलकिट और ब्रोशर जैसे व्यावहारिक संसाधनों में अनुसंधान सरलीकृत किया गया.
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मातृ और बाल पोषण
इसके अतिरिक्त, मातृ और बाल पोषण हस्तक्षेपों में डाटा, प्रौद्योगिकी और कार्यान्वयन अनुसंधान की भूमिका के बारे में बात करते हुए, पैनलिस्टों ने स्वास्थ्य देखभाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के लिए स्पष्ट नियमों और दिशानिर्देशों की कमी के बारे में भी बात की. एआई मॉडलों में पूर्वाग्रह की जांच करना और इसे कम करने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है. इसके लिए, विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण डाटा का उपयोग किया जा सकता है और प्रौद्योगिकी को मानवीय निगरानी के साथ संबद्ध किया जा सकता है.
मातृ एवं शिशु कल्याण से जुड़े कार्यों में परिवारों के पुरुषों को शामिल करना
वहीं कीन्या में मातृ और बाल स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में बात करते हुए, डॉ. कर्क टिकेल वाशिंगटन विश्वविद्यालय के वैश्विक स्वास्थ्य विभाग में संकाय, ने अपने विचार साझा किए कि मातृ एवं शिशु कल्याण से जुड़े कार्यों में परिवारों के पुरुषों को शामिल करना और उन्हें मातृ और बाल स्वास्थ्य देखभाल के महत्व के बारे में संवेदनशील बनाना महत्वपूर्ण है. क्योंकि जब पितृसत्तात्मक ढांचे की बात आती है, तो वे अभी भी महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण चीजों को तय करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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कुपोषण के बोझ को दूर करना, बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने
इसके अलावा, खाद्य प्रणालियों और पोषण परिणामों के लिए स्वास्थ्य निवेश पर आधारित पैनल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जहां एनीमिया में कमी के कई उपाय अपनाए जा रहे हैं, वहीं खाद्य प्रणालियों की समीक्षा करने और कुपोषण के बोझ को दूर करने के लिए पोषण-संवेदनशील उपायों का लाभ उठाने की आवश्यकता है. पैनल ने बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षित खाद्य प्रणाली में निवेश के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने मातृ और बाल स्वास्थ्य में नवाचारों को पोषण प्रयासों के साथ पुनः संरेखित करने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया ताकि पोषण परिणामों को बेहतर बनाया जा सके.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 एनएचएफएस 5 के आंकड़ों के अनुसार, बच्चों में वेस्टिंग की समस्या जन्म के समय सबसे गंभीर होती है और 5 वर्ष से कम आयु के 35.5% बच्चे स्टंटिंग से जूझ रहे हैं, सम्मेलन ने एनीमिया में कमी के प्रमुख उपायों के लाभार्थियों को भी एक मंच दिया, जिन्होंने एनीमिया के साथ अपने संघर्षों को साझा किया और यह कैसे उनके जीवनयापन, समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और सीखने और ध्यान केंद्रित करने की उनकी क्षमता को प्रभावित कर देता है. यह सभी उनकी स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर होने के बाद सुकार्य ने पिछले 25 वर्षों में 760 गांवों में 70,00,000 महिलाओं और बच्चों तक अपनी पहुंच बनाई है.
(इनपुटः मुकेश सिंह)