World Brain Tumour Day 2023: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो लोगों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. इसका नाम ही लोगों को झकझोर कर रख देता है और कैंसर वक्त से पहले आपको हो जाए जिसकी आपने अपने जहन में कभी कल्पना भी न की हो तो इसका दर्द समझ पाना इतना आसान नहीं ह
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World Brain Tumour Day: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो लोगों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. इसका नाम ही लोगों को झकझोर कर रख देता है और कैंसर वक्त से पहले आपको हो जाए जिसकी आपने अपने जहन में कभी कल्पना भी न की हो तो इसका दर्द समझ पाना इतना आसान नहीं है. ऐसा ही हुआ दिल्ली के न्यू अशोक नगर में रहने वाले वृश्चिक नागर के साथ.
दरअसल, वृश्चिक को एक ऐसी बीमारी हो गई जो जानलेवा होने के साथ ही एक राशि भी है यानी कैंसर. इस तरह से वृश्चिक दो राशियों के बीच द्वंद हुआ और छोटी से उम्र में लंबे समय इलाज के बाद इस कैंसर नामक बीमारी को हराकर जीत हासिल कर लगी. इस घातक बीमारी को मात देने के बाद वृश्चिक नागर अन्य कैंसर पीड़ित लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. उनका कैंसर पीड़ितों के लिए कहना है कि इलाज और इच्छाशक्ति के बल पर कैंसर को हराया जा सकता है. आप बस हिम्मत मत हारना आपकी जीत होगी और आप सामान्य जीवन फिर से जी पाएंगे.
रिपोर्ट की पुष्टि के बाद सिमट गई थी दुनिया
वृश्चिक बताते हैं कि 2011 में नोएडा स्थित एक निजी स्कूल में बारहवीं कक्षा में आम दिनों की तरह पढ़ाई कर रहे थे. कक्षा में पढ़ाई करने के दौरान ही सिरदर्द और आए दिन बुखार की समस्या रहने लगी. एक दिन स्कूल में तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी. स्कूल से घरवालों को जानकारी दी और फिर वृश्चिक के पिताजी ने डॉक्टरों को दिखाया पर बीमारी पकड़ में नहीं आई. इसके बाद फिर से सिर दर्द हुआ तो माता-पिता भी सेहत को लेकर परेशान रहने लगे. घर के पास एक डॉक्टर की सालह पर सीटी स्कैन करवाया. सीटी स्कैन में ब्रेन ट्यूमर होने की पुष्टी हुई. ब्रेन ट्यूमर का नाम सुनते ही परिवार के लोग परेशान हो गए.
AIIMS जताया भरोसा तो जीत ली जंग
वृश्चिक का कहना है कि करीब 13 साल पहले ब्रेन ट्यूमर (दिमागी कैंसर) हुआ था. जब वो इस बीमारी से पीड़ित थे तो आधी बेहोशी की हालत में रहते थे. जब हो अपने माता-पिता से इस बीमारी के बारे में पूछते थे तो कोई उनकों कुछ नहीं बताता था, लेकिन उनके लिए यह बड़ा झटका था. छोटी सी उम्र में उनकी दुनिया धीरे-धीरे सिमटती जा रही थी.साथ ही उन्होंने कहा कि एक परिचित की सलाह पर एम्स अस्पताल ले जाया गया, यहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन कराने की बात कही.
माता-पिता की वजह से मिला नया जीवन
साल 2011 में 13 अगस्त को एम्स में वृश्चिक का ऑपरेशन हुआ. ऑपरेशन के बाद तीन दिन तक वह आइसीयू में रहे. तीन दिन बाद जब डॉक्टरों ने उन्हें खतरे से बाहर बताया तब पिता पीके नागर और मां विनिता ने करीब दो महीने के बाद थोड़ी सी राहत की सांस लीबेटे के ठीक होने पर वह बहुत खुश थे. वृश्चिक बताते हैं कि उनके माता-पिता की वजह से ही उनको आज एक नया जीवन मिल पाया है.
इन लक्षणों को न करें नजर अंदाज (Cancer Symptoms)
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है. ऐसी बीमारी कि वो किसी को भी हो सकती है. कैंसर की कोई उम्र नहीं है. ब्लड क्लाट्स बनना, वजन का अचानक कम और बढ़ना, दर्द, सांस लेने में दिक्कत होना, खून बहना आदि इसके मुख्य लक्षण हैं. बता दें कि कई लोग ऐसे हैं जो कैंसर के इन शुरुआती लक्षणों को नजर अंदाज कर देते हैं. इस बीमारी के लक्षण को नजर अंदाज करने से ही मरीज समय पर ठीक नहीं होते पाके हैं.
ये होते हैं कैंसर के विभिन्न प्रकार (Types of Cancer)
आपको बता दें कि कि बोन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, एसोफैगल कैंसर, ब्लैडर कैंसर, पैंक्रियाटिक कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, ब्लड कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, ब्रेस्ट कैंसर आदि कैंसर के विभिन्न प्रकार है.
क्या कहती है रिपोर्ट
राष्ट्रीय कैंसर निवारण और अनुसंधान संस्थान (NCRP- National Council on Radiation Protection & Measurements) के अनुसार भारत समेत पूरी दुनिया में कैंसर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के विषय के रूप में तेजी से उभर रहा है. साल 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मामले सामने आए थे. इसके बाद साल 2022 के लिए भारत में मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 पाई गई. विश्व स्तर पर भी, यह मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है, जो लगभग 10-11 मिलियन मौतों में योगदान देता है. एनसीआरपी द्वारा संभावना जताई जा रही है कि वर्ष 2025 में बढ़कर आंकड़ा 15.7 लाख तक पहुंच सकता है.