नई दिल्‍ली: देश में मंकीपॉक्स के पहले मामले के सामने आने के बाद दिल्ली में भी सरकार अलर्ट मोड पर नजर आ रही है. राजधानी के लोकनायक अस्‍पताल को मंकीपॉक्‍स का नोडल सेंटर बनाया गया है, जिससे कोई भी केस सामने आने पर मरीज को आइसोलेट किया जा सके. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मंकीपॉक्स का पहला मामला
संयुक्त अरब अमीरत (UAE) से केरल लौटे एक 35 वर्षीय युवक में मंकीपॉक्स की पुष्टि की गई है. मरीज में तेज बुखार और शरीर पर छाले जैसे लक्षण देखें गए हैं. इसके बाद अब मरीज के संपर्क में आए घर के लोग, ऑटो ड्राइवर और फ्लाइट में साथ आए 11 लोगों की जांच की जाएगी. 


76 देशों में अब तक आ चुके हैं 12 हजार से ज्यादा मामले 
Monkeypoxmeter.com  पर मौजूद डेटा के अनुसार, अब तक विश्व के 76 देशों में 12,300 मंकीपॉक्स के मरीजों की पुष्टि हो चुकी है. वहीं इस बीमारी से इस साल 3 लोगों की मौत हुई है. 


मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाला एक वायरस है. यह सबसे पहले 1958 में  एक बंदर में पाया गया था, जिसके बाद 1970 में यह 10 अफ्रीकी देशों में फैल गया. लक्षण स्‍मॉलपॉक्‍स से मिलते-जुलते हैं. इस वायरस के दो स्‍ट्रेन्‍स हैं- पहला कांगो स्ट्रेन और दूसरा पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन. कांगो स्ट्रेन की मृत्यु दर 10% और पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन की मृत्यु दर 1% है. 


मंकीपॉक्स के लक्षण
इस बीमारी में सबसे पहले फीवर आना शुरू होता है, इसके बाद स्किन में रैशेज पड़ने सगते हैं. शरीर में दर्द, थकान और पूरे शरीर पर दाने नजर आना भी मंकीपॉक्स के लक्षण में शामिल हैं. 


कैसे फैलता है
मंकीपॉक्स जानवरों से इंसान में फैल सकता है. साथ ही इंसानों में यह संक्रमित मरीज के ड्रॉपलेट्स,  रैशेज के लिक्विड और सेक्स से भी फैल सकता है. 


Watch Live TV