पूजा मक्कड़/ नई दिल्ली: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत रहन-सहन से होने वाली बीमारियां तेजी बढ़ रही हैं. गलत खानपान, निष्क्रिय और बिगड़े हुए रहन-सहन की वजह से होनी वाली हेल्थ समस्याओं को लाइफस्टाइल डिजीज कहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिकतर होने वाली मौतों के पीछे का कारण बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल होती है. हमारी खराब आदतें मोटापा, डायबिटीज और सबसे ज्यादा आलसीपन जैसी कई लाइफस्टाइल डिजीज से होने वाली मौतों का कारण बनती हैं. 


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बता दें कि भारत में होने वाली कुल मौतों में से 66% की वजह लाइफस्टाइल से होने वाली बीमारियां हैं. भारत में हर साल 60 लाख 46 हज़ार 960 लोग खराब लाइफ स्टाइल से गंभीर बीमारियों के शिकार होते हैं. इस तरह जान गंवाने वाले 54% लोगों की उम्र 70 वर्ष से कम है. 


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खराब लाइफस्टाइल से होने वाली बीमारियां
1. दिल की बीमारी
2. सांस की बीमारी
3. कैंसर
4. डायबिटीज
5. मोटापा


भारत में लाइफस्टाइल की वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा कुछ इस तरह है.
 28% दिल की बीमारी 
12% सांस की बीमारी
10% कैंसर 
4% डायबिटीज़ 
12% दूसरी लाइफस्टाइल वाली बीमारियां


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लाइफस्टाइल डिजीज के होने का कारण  
देश में 15 वर्ष से ऊपर का एक व्यक्ति औसतन 5.6 लीटर शराब हर साल पी जाता है, पुरुष 9 लीटर और महिलाएं 2 लीटर शराब पी जाती हैं. 15 वर्ष से ऊपर के 28% लोग तंबाकू खाने के आदी हैं. वहीं देश में 18 वर्ष से ऊपर के 34% लोग आलसी हैं और फिजिकल इनएक्टिविटी न करने के शिकार हैं.  इससे भी बड़ी बात यह है कि 11 से 17 साल के 74% बच्चे आलसी हैं और जरूरी फिजिकल एक्टिविटी से कोसों दूर हैं. हर वर्ष दुनिया के 8 लाख 30 हज़ार लोग इसलिए मारे जाते हैं, क्योंकि वो आलसी हैं और कुछ नहीं करते.


क्या कहता है WHO 
WHO की नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत दुनियाभर में अब लोग लाइफस्टाइल की बीमारी यानी हार्ट अटैक, कैंसर और डायबिटीज से मारे जा रहे हैं. एक बड़ी वजह है आलसीपन, जिसके चलते लोग बीमार पड़ रहे हैं.  WHO के मुताबिक जो लोग हफ्ते में 150 मिनट की साधारण एक्सरसाइज भी नहीं करते या हफ्ते में 75 मिनट तक जमकर कसरत नहीं करते उन्हें आलसी माना जाता है. 
बता दें कि दुनियाभर में होने वाली कुल मौतों में से 74% लाइफस्टाइल वाली बीमारियों से होती हैं।  भारत में 66%  लोग लाइफस्टाइल वाली बीमारियों के शिकार होकर मारे जा रहे हैं. दुनिया की तीन चौथाई मौतों की वजह लाइफस्टाइल वाली बीमारियां हैं. हर 2 सेकेंड में एक व्यक्ति लाइफस्टाइल डिजीज से मारा जा रहा है.  WHO की मानें तो अगर गरीब देश हर वर्ष इन बीमारियों को रोकने के लिए 1,800 करोड़ खर्च कर लें तो कम मौतें होंगी और कई करोड़ का आर्थिक नुकसान भी बचाया जा सकेगा.