Political Analysis About Congress: हरियाणा विधानसभा चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि भाजपा जीत और कांग्रेस हार गई, बल्कि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इनकी जीत और हर के प्रतीकात्मक मायने बहुत ज्यादा है. याद करिए 2014 का वह समय, जब हरियाणा ने पहली बार भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार दी थी. हरियाणा ही वह पहला इलेक्शन था, जहां से राज्यों में भाजपा की जीत की शुरुआत हुई थी. हरियाणा के बाद महाराष्ट्र, असम और उसके बाद राज्य दर राज्य भाजपा ने कई चुनाव जीते और अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकार बनती चली गई, इसलिए हरियाणा का प्रतीकात्मक महत्व बहुत ज्यादा है.


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अब 2024 में विपक्ष भी हरियाणा को जीतकर इसी प्रतीकात्मक महत्व को अपने पाले में करने की कोशिश में था, लेकिन हरियाणा की जनता ने लगातार तीसरी बार भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार देकर इतिहास रचने का काम किया. हरियाणा में पहली बार कोई राजनीतिक दल लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हुआ है. वो भी पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतकर. हरियाणा के बाद अब महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव होने हैं तो हरियाणा में जीत से इन दोनों राज्यों में भी भाजपा कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद होगा.


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इन राज्यों में गठबंधन के सहारे आगे बढ़ेगी पार्टी 
इसके अलावा इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि हरियाणा ही वह प्रदेश था, जहां कांग्रेस मुख्यमंत्री पद की लड़ाई लड़ रही थी, क्योंकि अब जो चुनाव होने हैं चाहे वह महाराष्ट्र का हो, चाहे झारखंड, 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव हो या फिर अगले साल के अंत में बिहार का. इनमें से किसी भी राज्य में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद की सीधी लड़ाई में नहीं है. महाराष्ट्र में तो अभी से ही शिवसेना ने नखरे दिखाने शुरू कर दिए हैं. इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि झारखंड में भी कांग्रेस के तेवर में नरमी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के तेवर में गर्मी आएगी. इसके बाद असम और बंगाल में भी चुनाव होने वाले हैं, लेकिन इन राज्यों में केवल असम में ही भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है.


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मतलब ये है कि हरियाणा के बाद अब कांग्रेस को किसी राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए असम चुनाव का इंतजार करना पड़ेगा. बाकी किसी राज्य में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद की सीधी दौड़ में नहीं है और इन राज्यों में कांग्रेस गठबंधन के सहारे चुनाव मैदान में उतरेगी. हालांकि किसी भी राज्य में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी हाईकमान ले सकता है, लेकिन  किसी ठोस आधार या अध्ययन के बिना उसका हश्र आम आदमी पार्टी जैसा ही होगा, जो दिल्ली से सटे हरियाणा में फुस्स हो गई.  इसके अलावा बंगाल में अगर कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ तो भी वहां मुख्यमंत्री पद के लड़ाई में कांग्रेस के आने के सीधे संकेत तो नहीं है.


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सिर्फ इन राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला BJP से 
इस तरह कांग्रेस कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के अलावा किसी भी राज्य में अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पाएगी, क्योंकि भाजपा से सीधा मुकाबला गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, असम और हरियाणा में ही होता है, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में ऐसा करने से तो कांग्रेस पहले ही चूक गई है. हरियाणा की हार ने कांग्रेस का इंतजार और भी बढ़ा दिया है. अब गुजरात में कांग्रेस का क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा।


असम में भी चूकी तो 2029 में ही बन पाएंगे योग!
इस तरह 2027 से पहले कांग्रेस के पास केवल असम ही ऐसा राज्य होगा, जहां वह मुख्यमंत्री पद की लड़ाई लड़ेगी. असम में वर्तमान बीजेपी सरकार का कार्यकाल मई 2026 में ख़त्म होगा. अगर इस बीच बीजेपी सरकार देश में वन नेशन वन इलेक्शन लागू करने में कामयाब हो जाती है तो फिर 2027 के बाद सारे चुनाव 2029 में ही होंगे. मतलब, 2029 में पूरे देश में लोकसभा और सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव एक साथ होंगे. उसे समय देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस कितने राज्यों में अपने मुख्यमंत्री बनापाती है और कितने में सत्ता खोती है. ऐसे में कांग्रेसियों को अब अपनी सरकार और अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए असम विधानसभा चुनाव का ही इंतजार करना पड़ेगा.