Madame Tussauds Museum: बारीक नजर, मोम और 6 महीने की मेहनत से इस तरह Celebrity किए जाते हैं `जिंदा`
Madame Tussauds India : देश में पहला मैडम तुसाद म्यूजियम 2017 में दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में खोला गया था, लेकिन कोविड के चलते इसे बंद कर दिया गया था. अब यह नोएडा में शिफ्ट हो गया है.
नई दिल्ली : लंदन समेत विश्व के 23 से ज्यादा शहरों के बाद बीते मंगलवार को नोएडा (Noida) में भी मैडम तुसाद संग्रहालय (Madame Tussauds Museum) खोल दिया गया. सेक्टर-18 स्थित डीएलएफ मॉल में मर्लिन एंटरटेनमेंट्स कंपनी के एमडी अंशुल जैन ने इस वैक्स म्यूजियम का उद्घाटन किया. इस संग्रहालय को मैडम तुसाद इंडिया नाम दिया गया है.
म्यूजियम में फ़िलहाल महात्मा गांधी, पीएम मोदी, शाहरुख खान, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, अनिल कपूर, विराट कोहली, आशा भोसले के अलावा राजनीति, फिल्म, खेल और कार्टून कैरेक्टर्स के आदमकद 50 पुतले प्रदर्शनी के लिए रखे गए हैं. देश में पहला मैडम तुसाद म्यूजियम 2017 में दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में खोला गया था, लेकिन कोविड के चलते इसे बंद कर दिया गया था. अब यह नोएडा में शिफ्ट हो गया है.यह वैक्स म्यूजियम बुधवार यानी आज से हर रोज सुबह 11.30 से शाम 7.30 बजे तक खोला जाएगा.
सेलेब्रिटीज से मिलने के लिए इतना करना पड़ेगा खर्च
म्यूजियम में सेलेब्रिटीज को नजदीक से देखने के लिए आपको टिकट लेनी पड़ेगी. 3 वर्ष की तक के बच्चों का कोई टिकट नहीं लगेगा. 3 से अधिक व 11 वर्ष तक के बच्चों को म्यूजियम देखने के लिए 760 रुपये देने होंगे.12 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को 960 रुपये का टिकट लेना पड़ेगा.
ये भी पढ़ें : BJP पिछले सात दशक से क्यों नहीं बिखरी, नरेंद्र सिंह तोमर ने बताई इसकी वजह
कई महापुरुषों और वर्तमान हस्तियों से जुड़ा यह म्यूजियम कला के बेजोड़ नमूने, रिसर्च और मॉडर्न आर्ट और तकनीकी पर आधारित है. क्या आपको पता है कि बिलकुल असली की तरह दिखने वाले इन वैक्स स्टैच्यू (Statue) को कैसे बनाया जाता है और शिल्पकारों को इसे बनाने के दौरान कौन-कौन सी चुनातियों का सामना करना पड़ता है.
इन वैक्स स्टैच्यू को बनाने की शुरुआत 1761 में स्ट्रेसबर्ग (फ्रांस) में जन्मी मैरी ग्रोसहोल्ट्ज उर्फ मैडम तुसाद ने की थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न देशों में मौजूद मैडम तुसाद म्यूजियम में रखे स्टैच्यू को बनाने के लिए मोम, मेटल स्ट्रक्चर, क्ले, फाइबर गिलास या सॉफ्ट प्लास्टिक आदि की जरूरत पड़ती है.
शुरुआत में वैक्स स्टैच्यू को चमड़े और लकड़ी के फ्रेम पर बनाया जाता था और हाथ-पैर लकड़ी के बने होते थे. उन दिनों पूरा पुतला बनाने में लगभग सोलह हजार मोमबत्तियों के बराबर माँ का इस्तेमाल किया जाता था. समय बीतने के साथ स्टैच्यू बनाने की पारंपरिक तकनीक में भी बदलाव आया है. आधुनिक तकनीकी की मदद के बावजूद एक वैक्स स्टैच्यू बनाने में करीब 6 माह का समय लगता है.
स्टैच्यू मेकिंग स्टेप बाय स्टेप
सबसे पहले जिस सेलिब्रिटी का वैक्स स्टैच्यू बनाना होता है, उसकी बॉडी का हर बारीक से बारीक माप लिया जाता है.
उसके बाद उसके पसंद की मुद्रा जैसा मैटल का स्ट्रक्चर तैयार किया जाता है. फिर इस पर बॉडी शेप बनाने के लिए क्ले चढ़ाना शुरू किया जाता है. इसके बाद इसे प्लास्टर पीस से कवर कर दिया जाता है.
क्ले के सूखने के बाद प्लास्टर पीस को अलग-अलग हिस्सों को अलग कर फिर से जोड़ा जाता है. इसके बाद इसमें पिघला हुआ मोम भरा जाता है और ठंडा होने के बाद प्लास्टर पीस को ऊपर से हटा लिया जाता है.
बॉडी शेप तैयार होने के बाद उस पर आंख, सिर पर बाल और ऑयल पेंट से फिनिशिंग की जाती है और इस तरह तैयार हो जाती है एक ऐसे अद्भुत कलाकृति, जिसे देखकर लगता है जैसे वो अभी बात करने लगेगी.
इन वैक्स स्टैच्यू को बिना खिड़कियों-रोशनदान वाली बेहद कम तापमान वाली जगह पर रखा जाता है, ताकि पुतले पिघले नहीं. इनकी कीमत 28 लाख तक होती है.
WATCH LIVE TV