दिल्ली में नहर निगम के चुनावों की घोषणा हो चुकी है. वहीं राजनीतिक पार्टियां भी पूरी तरह से सतर्क हो चुकी हैं. कोई भी पार्टी ऐसे में अपना सिक्का चमकाने के लिए दूसरी पार्टी पर आरोप लगाने से नहीं चूक रही हैं. वहीं भाजपा और आम आदमी पार्टी कूड़े के पहाड़ को लेकर एक-दूसरे पर निशाना साध रही हैं.
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नई दिल्ली: एमसीडी चुनावों को लेकर दिल्ली में सियासत तेज हो गई है. हर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए नजर आ रहे हैं. आम आदमी पार्टी आज कूड़े के पहाड़ को लेकर जनसंवाद करेगी. वहीं आम आदमी पार्टी के इस जनसंवाद को लेकर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि क्या कूड़े के पहाड़ सिर्फ दिल्ली में हैं, पंजाब में नहीं गुरु की नगरी अमृतसर साहिब में डेढ़ लाख मैट्रिक टन कूड़ा पड़ा है. क्या उसे केजरीवाल ने हटा दिया है?
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दिल्ली में अगर कूड़े के पहाड़ खत्म नहीं हो पाए तो उसकी भी वजह केजरीवाल हैं. अगर उन्होंने एमसीडी का पैसा समय से दे दिया होता तो शायद आज कूड़े के पहाड़ काफी कम हो चुके होते, लेकिन अगर वो ऐसा कर देते तो शायद उन्हें सियासत करने का मौका नहीं मिलता. वहीं बीजेपी ने प्रदूषण को लेकर केजरीवाल सरकार को घेरने की कोशिश की और कहा कि आज दिल्ली की जनता दम घोटू हवा में सांस लेने के लिए मजबूर है. साथ ही सुकेश को लेकर केजरीवाल सरकार को घेरा कहा डेली एक चिट्ठी उजागर हो रही है और केजरीवाल सुकेश की चिट्ठी पर मौन है.
बता दें कि दिल्ली भाजपा लगातार 15 साल से MCD में शासन कर रही है. जानकारी के अनुसार इस बार MCD चुनावों की घोषणा के बाद भाजपा में हर वार्ड से न्यूनतम 5/7 उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इसका मतलब लगभग 250 वार्ड से 1500 के आसपास उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इन सभी उम्मीदवारों के लिए भाजपा प्रदेश कार्यालय में एक BIO-Data बॉक्स रखा गया है, जिसमें उम्मीदवार अपना ब्योरा डाल रहे हैं. कई उम्मीदवार तो इसे‘भाग्य पेटी’भी बता रहे हैं.
भाजपा संगठन ने इस बार उम्मीदवार चयन प्रक्रिया थोड़ी सख्त कर दी है. इसलिए इस बार उम्मीदवार भी वहीं दिखाई दे रहे हैं, जिनके रिपोर्ट कार्ड में रेटिंग सही है. भाजपा ने पहले भी कहा था और आज देखने को भी मिला कि महिला उम्मीदवारों को पर्याप्त स्थान दिया जाएगा.
इसके बाद हमारी जी मीडिया की टीम ने इन प्रत्याशियों से ये भी पूछा कि ये किन मुद्दों पर चुनाव लड़ने वाले हैं. इसके बाद कुछ प्रत्याशियों ने तो मुद्दे बताए और कुछ MCD से केजरीवाल के सौतेले व्यवहार पर नाराज दिखाई दिए.
दिल्ली का MCD चुनाव विधानसभा के चुनावों से ज्यादा रुचिकर हो रहा है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों पर तो सिर्फ 70 विधानसभाओं के प्रत्याशी चयन में लगभग 700/800 या बहुत 1000 उम्मीदवारों का बोझ होता है, लेकिन इन MCD चुनावों में 250 वार्ड और उस पर लगभग 1500 उम्मीदवार का बोझ होता है.