दरअसल सिविक सेंटर से स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव को लेकर बुधवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ था. आप और बीजेपी पार्षद एक-दूसरे से भिड़ गए थे और इसी कड़ी में आज भी पार्षदों में जमकर मारपीट हुई, जिसमें कई पार्षदों के घायल होने का मामला सामने आया है.
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नई दिल्ली : एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव बेहद दिलचस्प होता जा रहा है. सिविक सेंटर में पार्षदों के हंगामे की वजह से वोटों की गिनती रोक दी गई है. दरअसल वोट काउंटिंग शुरू होने के बाद मेयर शैली ओबेरॉय ने एक वोट को अमान्य घोषित कर दिया, जिसके बाद बीजेपी पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया.
उन्होंने अमान्य हुए वोट को मान्य घोषित करने की मांग की. काफी देर बाद भी जब हंगामा नहीं थमा तो मेयर ने वोटों की गिनती फिर शुरू करने का निर्देश दिया. दोबारा काउंटिंग शुरू भी हो गई, लेकिन पार्षदों ने हंगामा जारी रखा. इस दौरान पार्षद टेबल पर चढ़ गए. इससे पहले चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए. कुछ 242 पार्षदों ने मतदान किया. वहीं कांग्रेस के 8 पार्षद गैरहाजिर रहे.
सदन में रिजल्ट घोषित होने के दौरान हाथापाई की नौबत आई और यहां तक की माइक तोड़ने की कोशिश की गई. सदन में जमकर मारपीट हुई और साथ ही लाट-घूंसे भी चले, जिसमें कई लोग घायल हो गए. बता दें कि दिल्ली बीजेपी का आरोप है कि आप नेता आतिशी के कहने पर AAP पार्षद मारपीट कर रहे हैं.
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव (MCD Standing Committee Election) कराने के लिए हुई वोटिंग अब खत्म हो गई है. एमसीडी के कुल 250 में से 242 पार्षदों ने वोट डाले, जबकि कांग्रेस के 8 पार्षदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. वोटिंग खत्म होने के बाद 10 मिनट के लांच ब्रेक के बाद वोटों की गिनती शुरू हुई.
आम आदमी पार्टी को 138 वोट मिले, जबकि उसके पास 133 पार्षद है. 5 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की. दरअसल सिविक सेंटर से स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव को लेकर बुधवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ था. आप और बीजेपी पार्षद एक-दूसरे से भिड़ गए थे. इसके बाद गुरुवार को सदन की कार्यवाही स्थगित रही.
भाजपा ने स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में गड़बड़ी करने का आरोप आप पर लगाया था. एमसीडी सचिव ने मेयर को सौंपी रिपोर्ट में कहा, स्थायी समिति के छह सदस्यों को चुनने के लिए पर्याप्त संख्या में मतपत्र नहीं थे और यह अहम है कि मतदान दोबारा कराया जाए. उन्होंने बताया कि केवल 245 बैलट पेपर थे, जबकि वोटिंग के लिए 250 की जरूरत थी.