किंग्सवे कैंप से राजपथ और अब कर्तव्यपथ, जानिए किसने और किसके लिए बनाया था यह बुलेवार्ड
ब्रिटिश सरकार के द्वारा राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट करने के बाद किंग्सवे का निर्माण किया गया. आजादी के बाद इसका नाम बदलकर राजपथ किया गया और अब मोदी सरकार ने इसका नाम कर्तव्यपथ करने का फैसला किया है.
नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए दिल्ली के राजपथ का नाम बदलने की तैयारी कर ली है. 7 सितंबर को NDMC की बैठक में राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलने पर मुहर लगाई जा सकती है. ये वही रास्ता है, जहां देश हर साल विश्व को अपनी ताकत दिखाता है. अंग्रेजों के शासनकाल से अभी तक इस रास्ते के नाम के साथ ही यहां पर काफी कुछ बदल चुका है.
दिल्ली की रायसीना पहाड़ी पर चढ़ने के बाद, राष्ट्रपति भवन से विजय चौक और इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल से नेशनल स्टेडियम, दिल्ली तक जाता ये मार्ग राजपथ के नाम से जाना जाता है. यह दोनों तरफ से विशाल लॉन, नहरों और पेड़ों से घिरा हुआ बेहद खूबसूरत मार्ग है.
कहानी दिल्ली की जो हर पल बदलती तस्वीर के बीच अपने इतिहास को समेटे हुए है, देखिए Photos...
किंग्सवे का निर्माण
1911 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली से शिफ्ट किया गया, तब प्रशासनिक राजधानी के रूप में दिल्ली के विकास की शुरुआत हुई. इस दौरान एक आधुनिक शाही शहर की कल्पना के साथ एडविन लुटियंस के द्वारा किंग्सवे का निर्माण किया गया.
कैसे पड़ा नाम
सड़क के निर्माण के बाद भारत के सम्राट जॉर्ज पंचम ने दिल्ली आकर राजधानी को स्थानांतरित करने के निर्णय की औपचारिक घोषणा की थी, तब जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस रास्ते को किंग्सवे नाम दिया गया. उस समय इस रास्ते से जाने की अनुमति केवल राजाओं को ही थी.
किंग्सवे से राजपथ
अंग्रेजों से आजादी के बाद देश की कई जगह के नामों को भी दासता से मुक्त किया गया, उन्हीं में से एक था किंग्सवे. साल 1955 में इस जगह का नाम बदलकर राजपथ किया गया.
नाम बदलने के बाद हुई यहां परेड की शुरुआत
देश की आजादी के बाद साल 1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी. साल 1955 में नाम बदलने के बाद से हर साल 26 जनवरी की परेड का आयोजन यहां पर किया जाने लगा.
किंग्सवे के बाद राजपथ और अब सरकार जल्द ही इस रास्ते का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने वाली है, जिसपर 7 सितंबर को औपचारिक मोहर लग जाएगी.