Delhi News: PM ने जिस वैज्ञानिक को भारत रत्न देने का किया ऐलान, उन्होंने दिल्ली के इस गांव को दिया था गेहूं की बीज
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Delhi News: PM ने जिस वैज्ञानिक को भारत रत्न देने का किया ऐलान, उन्होंने दिल्ली के इस गांव को दिया था गेहूं की बीज

MS Swaminathan: दिल्ली का जौंती गांव जहां साठ के दशक में डॉ. स्वामीनाथन ने प्रवेश किया और उसके बाद वहां पर कृषि क्षेत्र में ना केवल एक नई पैदावार देखने को बल्कि पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिली.

Delhi News: PM ने जिस वैज्ञानिक को भारत रत्न देने का किया ऐलान, उन्होंने दिल्ली के इस गांव को दिया था गेहूं की बीज

Delhi News: भारत सरकार ने हाल ही में तीन प्रतिष्ठित चेहरे को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की है. इन नाम में हरित क्रांति के जनक और महान वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन का नाम मुख्य रूप से शामिल हैं. डॉ. एमएस स्वामीनाथन वो नाम हैं, जिन्हे इस सम्मान से सम्मानित किए जाने के बाद हर कोई उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना कर रहा है. विशेषतौर पर दिल्ली देहात से जुड़े लोग कृषि क्षेत्र में उनके योगदान को आज भी याद करते हैं. डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन के बाद दिल्ली का एक गांव उन्‍हें आज भी शिद्दत से याद करता है.

दरअसल, दिल्ली का जौंती गांव जहां साठ के दशक में डॉ. स्वामीनाथन ने प्रवेश किया और उसके बाद वहां पर कृषि क्षेत्र में ना केवल एक नई पैदावार देखने को बल्कि पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिली. लोगों के मुताबिक गांववालों से कहा था कि मेरा सपना है कि आप खेती से इतने संपन्न हों कि गांव के हर घर के बाहर कार खड़ी हो. दिल्ली के इस गांव से डॉ. स्वामीनाथन और इंदिरा गांधी का भी रिश्‍ता रहा है. ऐसा माना जाता है कि करीब दस हजार की आबादी वाला यह गांव हरित क्रांति की शुरुआत करने वाला पहला गांव है. स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्होंने यहां पर 1967 में एक बीज शोधालय की शुरुआत में एक बड़ी भूमिका निभाई थी, जहां से लाखों किसानों को हरित क्रांति के दौरान गेंहू के बीज दिए गए. इस बीज शोधनालय का उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था. हालांकि, उस स्थान पर इस समय स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एक डिस्पेंसरी संचालित की जा रही है.

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गांववासियों का कहना है कि डॉ. स्वामीनाथन ने 1964 में बीज दिए और उन्होंने अपने खेत में गेहूं की बंपर पैदावार करके किसानों के बीच भरोसा पैदा किया था, जौंती गांव के किसान के मुताबिक जब भी स्वामीनाथन जी आते थे तो वह घर के सदस्य की तरह थे. यही वजह है कि आज भी इस गांव में बढ़चढ़कर लोग खेती करते हैं. जौंती गांव में लोग स्‍वामीनाथन को आज भी याद करते हैं. बता दें कि पिछले साल डॉ. एमएस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में निधन हो गया था.

INPUT- Deepak

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