NCRB Report: पिछले 50 साल में दंगों में आई भारी गिरावट, जब-जब आई बीजेपी की सरकार, माहौल हुआ शांत
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NCRB Report: पिछले 50 साल में दंगों में आई भारी गिरावट, जब-जब आई बीजेपी की सरकार, माहौल हुआ शांत

NCRB Report: 1980 के दशक के दौरान दंगों की शिकायतें और हिंसा अपने सबसे उच्च स्तर पर थी. फिर 1990 के दशक के अंत में इसमें भारी गिरावट आई. यह वह समय था, जब केंद्र में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सरकार थी.

NCRB Report: पिछले 50 साल में दंगों में आई भारी गिरावट, जब-जब आई बीजेपी की सरकार, माहौल हुआ शांत

Riots Decline in Narendra modi Government: देश में दंगों की संख्या तेजी से गिर रहा है और यह आंकड़ा पिछले 50 वर्षों में सबसे कम है. सरकारी निकाय राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के एक हालिया विश्लेषण में यह बात निकलकर सामने आई है. यह विश्लेषण इसलिए भी महत्त्व रखता है, क्योंकि हाल के वर्षों में विपक्ष ने बीजेपी सरकार पर कई बार साम्प्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया है. 

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य प्रोफेसर शमिका रवि ने एक ट्वीट कर बताया कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से देश में दंगों में तेजी से गिरावट आई है. 1970 के बाद 2021 में दंगों के सबसे कम मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी द्वारा सबसे हालिया विश्लेषण का उपयोग करने वाले ग्राफ से पता चलता है कि 1980 के दशक के दौरान दंगों की शिकायतें और हिंसा अपने सबसे उच्च स्तर पर थी. फिर 1990 के दशक के अंत में इसमें भारी गिरावट आई. यह वह समय था, जब केंद्र में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सरकार थी.

ग्राफ के मुतबिक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान ज्यादा दंगे हुए थे, लेकिन पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद दंगे कम हो गए. आंकड़े बताते हैं कि 1998 के बाद से भारत में दंगे के मामले बहुत तेजी से गिर रहे हैं. 1981 में दंगे के सबसे ज्यादा 110361 मामले सामने आए थे.  हालांकि 2020 में दिल्ली ने दंगे का आखिरी बड़ा दौर देखा गया था, जिसमें उत्तर पूर्वी दिल्ली में बड़े पैमाने पर खून-खराबा और गड़बड़ी देखी गई थी. इसमें करीब 53 लोग मारे गए थे. 

एनसीआरबी की 'क्राइम इन इंडिया 2017' रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में भारत में दंगों के 58,880 मामले सामने आए थे, जिसमें पीड़ितों की संख्या 90,394 थी. इससे ठीक एक साल पहले दंगे के 61,974 मामले सामने आए थे, जिसमें पीड़ितों की संख्या 73,744 थी.

 

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