Neeraj chopra: नीरज चोपड़ा के पिता सतीश चोपड़ा ने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स में जीतने के बाद सरकार ने 6 करोड रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक 1 रुपये भी नहीं मिला. वहीं 2021 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल आने के बाद सरकार द्वारा गांव में स्टेडियम बनाने की घोषणा की गई थी, जिस पर भी अब तक काम शुरू नहीं हुआ है.
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Neeraj chopra: हरियाणा के पानीपत जिले के छोटे से गांव खंडरा के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा आज देश ही नहीं, दुनियाभर के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और साल 2021 में आयोजित टोक्यो ओलंपिक 2020 में गोल्ड जीतने के बाद नीरज चोपड़ा पेरिस ओलंपिक 2024 में भी गोल्ड जीतने की तैयारी में हैं. मंगलवार को उन्होंने 89.34 मीटर थ्रो के साथ फाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया है. नीरज की सफलता के बीच अब हरियाणा सरकार के वादों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है.
क्या है पूरा मामला
देश में जब भी कोई खिलाड़ी मेडल जीतता है तो उस पर घोषणाओं की बारिश होना शुरू हो जाती है. केंद्र सरकार, राज्य सरकार सभी की तरफ से उसके लिए कई बड़े ऐलान किए जाते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा के साथ. हरियाणा सरकार ने कॉमनवेल्थ खेल में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज चोपड़ा को 6 करोड़ रुपये और टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद खंडरा गांव में स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी. इन वादों को किए हुए कई साल हो चुके हैं, लेकिन आज तक न तो नीरज को पैसे मिले और न ही गांव में स्टेडियम बना.
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इस बारे में जब खंडरा गांव के युवाओं से बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि सरकार केवल घोषणाएं कर रही है. अभी तक स्टेडियम का कार्य शुरू नहीं किया गया है. प्रशासन, सरकार व नेता केवल घोषणा करते हैं. राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार व स्थानीय नेताओं से मुलाकात के बाद भी आज तक स्टेडियम बनाए जाने की शुरुआत नहीं हो पाई है.
नीरज चोपड़ा के पिता सतीश चोपड़ा ने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स में जीतने के बाद सरकार ने 6 करोड रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक 1 रुपये भी नहीं पहुंचा है. वहीं 2021 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल आने के बाद सरकार द्वारा गांव में स्टेडियम बनाने की घोषणा की गई थी, जिसके लिए ग्रामीणों ने गांव के पास लगभग 15 एकड़ की जमीन भी मुहैया कराई, लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है.
टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो को एक नई पहचान दी है, जिसके बाद से लाखों युवा जैवलिन थ्रो में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं. पानीपत में सुविधाओं की कमी होने के चलते नीरज चोपड़ा को तैयारी करने के लिए पंचकूला भी जाना पड़ता था. आज भी व्यवस्थाओं में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं आया है.