सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 32 मंजिला ट्विन टावरों को आज 2 बजकर 30 मिनट में जमींदोज कर दिया जाएगा. इन दोनों टावरों के निर्माण में नियमों का उल्लघंन किया गया था, जिसके बाद कोर्ट ने इन्हें ध्वस्त करने का फैसला सुनाया.
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Twin Towers Demolition: नोएडा के सेक्टर-93 में बने सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 32 मंजिला ट्विन टावर आज दोपहर तक जमींदोज कर दिए जाएंगे. इन दोनों टावरों को गिराने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इन टावर्स को गिराने में लगभग 20 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और इसके मलबे को हटाने में 3 महीने से भी ज्यादा का समय लगेगा.
2004 में शुरू हुई थी कहानी
23 नंवबर 2004 को नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन का वितरण किया गया था, जिसमें पहले 9 मंजिला और फिर 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति दे दी गई. नोएडा अथॉरिटी के द्वारा टावर बनने की संख्या में भी इजाफा कर दिया गया. 2012 को टावर 16 और 17 के लिए एफआर में फिर बदलाव किया और इसे 40 मंजिल करने की अनुमति दे दी गई. दोनों टावर के बीच की दूरी केवल 9 मीटर रखी गई जबकि, नियम के अनुसार टावरों के बीच की दूरी कम से कम 16 मीटर होनी चाहिए. ट्विन टावर का निर्माण यूपी अपार्टमेंट्स एक्ट उल्लंघन कर किया गया था.
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टावर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इसके फ्लैट की बुकिंग भी शुरू हो गई लेकिन नियमों के उल्लंघन करके बने इस टावर का मामला 2009 में कोर्ट में पहुंच गया. साल 2014 में हाईकोर्ट ने इस चर्चित ट्विन टावर को ध्वस्त करने का फैसला सुनाया. इसके साथ कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही.
फैसले के 8 साल बाद गिर रहा टावर
हाईकोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया. सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने के अंदर टावरों को गिराए जाने का आदेश दिया. एक के बाद एक बढ़ती तारीखों के बीच 28 अगस्त का दिन इन दोनों टावरों को गिराने के लिए फाइनल किया गया.
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गिराने के तरीकों पर चला मंथन
ट्विन टावर को गिराने का फैसला आने के बाद इसे गिराने के तरीकों पर भी लंबी चर्चा हुई. अधिकारियों के पास इसे गिराने के तीन तरीके थे. डायमंड कटर, रोबोट का इस्तेमाल और इम्प्लोजन. इन तीनों तरीकों पर लगने वाले खर्च और समय को ध्यान में रखते हुए ट्विन टावर गिराने के लिए इम्प्लोजन को चुना गया.