हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल आज पानीपत पहुंचे. यहां उन्होंने शिवपुरा के समीप दिल्ली पैरलल नहर की क्षमता बढ़ाने के कार्य और जीर्णोद्धार कार्य का शिलान्यास किया.
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Panipat News: पानीपत दिल्ली समानांतर नहर के विस्तार और जीर्णोद्धार की आधारशिला रखने के मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal) ने कहा कि हरियाणा में किसानों के लिए पानी की उपलब्धता सीमित है, लेकिन आने वाले समय में बेहतर स्थिति की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि एसवाईएल का फैसला हरियाणा के पक्ष में आया है. अब सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि एसवाईएल (SYL) की खुदाई कौन करेगा. उम्मीद है कि यह फैसला जल्द आएगा.
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यमुना ही पानी का स्त्रोत
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पड़ोसी राज्य पंजाब और यूपी में कई नदियां बहती हैं, लेकिन हरियाणा में यमुना ही स्रोत है. हमारा प्रयास है कि यमुना के पानी का अधिक से अधिक उपयोग हो. इसी क्रम में दिल्ली समानांतर नहर की चौड़ाई बढ़ाई जा रही है. इससे करनाल से लेकर पानीपत, सोनीपत, दिल्ली समेत दक्षिण हरियाणा के जिलों को फायदा होगा.
रीमॉडलिंग से नहीं होगी पानी की वेस्टेज
बता दें कि दिल्ली पैरेलल नहर ब्रांच में जल बहाव की क्षमता को बढ़ाने के कार्य की शुरुआत की गई है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार द्वारा जल प्रबंधन अभियान चलाया गया है, जिसके तहत यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है. इसमें लगभग 304 करोड़ रुपये की लागत आनी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हथिनीकुंड से लेकर दक्षिणी हरियाणा की जितने भी नेहरू के प्रोजेक्ट हैं. उन सब की रीमॉडलिंग होनी है ताकि पानी की वेस्टेज न हो. उन्होंने कहा कि इसकी क्षमता बढ़ने के बाद दक्षिणी हरियाणा के जिलों में अधिक मात्रा में पानी भेजा जा सकेगा. इसका फायदा अन्य जिलों के किसानों को भी होगा.
जल्द हो गेहूं का उठान
वहीं एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मंडियों में लिफ्टिंग की जो समस्या आ रही थी. उसके लिए सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि जहां पर गेहूं अधिक मात्रा में पड़ा है. इसके लिए अधिक से अधिक गाड़ियां लगाई जाएं और लिफ्टिंग के काम में तेजी लाएं.
दरअसल मंडियों में गेहूं बहुत अधिक मात्रा में आ चुका है, लेकिन उसकी लिफ्टिंग नहीं की जा रही है. इससे किसानों को भारी परेशानी है रही है. वहीं मंडियों में जगह न होने की किसान खुले में गेहूं डालने को मजूर हैं. वहीं दो दिन से हो रही बारिश के कारण किसानों के अरमान पानी में बह गए हैं.