Project Cheetah: नामीबिया से आए अब दक्षिण अफ्रीका से आएंगे 12 चीते, जानिए कहां छोड़े जाएंगे
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Project Cheetah: नामीबिया से आए अब दक्षिण अफ्रीका से आएंगे 12 चीते, जानिए कहां छोड़े जाएंगे

Project Cheetah:  चीता फूड चेन का सबसे शीर्ष जीव है, देश में इसके विलुप्त होने का असर फूड चेन पर भी देखने को मिलता है. जिसमें सुधार लाने के लिए सरकार के द्वारा 'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत की गई है. नामीबिया से 8 चीतों को भारत लाया जा चुका है अब दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाने की तैयारी की जा रही है. 

Project Cheetah: नामीबिया से आए अब दक्षिण अफ्रीका से आएंगे 12 चीते, जानिए कहां छोड़े जाएंगे

Project Cheetah: देश में विलुप्त हो चुकी चीतों की प्रजाति को वापस देश में लाने के लिए सरकार के द्वारा प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत की गई है, इसके पहले चरण में नामीबिया से 8 चीते भारत लाए गए हैं, जिन्हें आज पीएम मोदी मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे. नामीबिया के बाद जल्द ही दक्षिण अफ्रीका से भी चीतों को भारत लाया जाएगा, जिसकी प्रकिया चल रही है. 

'प्रोजेक्ट चीता' की क्यों पड़ी जरूरत
चीतों के विलुप्त होने के बाद भारतीय Grassland Ecosystem पर भी असर हुआ है. चीता फूड चेन का सबसे शीर्ष जीव है, देश में चीता के विलुप्त होने का असर फूड चेन पर भी देखने को मिलता है. जिसे सही करने के लिए सरकार के द्वारा 'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत की गई. 

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1947 में हुआ आखिरी चीतों का शिकार
देश में चीता ,महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीसा और तमिलनाडु में मुख्य रूप से पाए जाते थे लेकिन धीरे-धीरे शिकार की वजह से इनकी संख्या खत्म हो गई. मध्य प्रदेश में कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने साल 1947 में देश के आखिरी तीन चीतों को मार डाला था. जिसके बाद भारत सरकार ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित मान लिया गया. 

कूनो नेशनल पार्क में ही क्यों लाए जा रहे चीते
चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़े जाने की सबसे बड़ी वजह उनके खाने की व्यवस्था है, दरअसल कूनों नेशनल पार्क में इंसानों की आबादी कम है. साथ ही यहां पर चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार और बिल्लियों जैसे जानवर हैं, जिनका शिकार करना चीतों को सबसे ज्यादा पसंद है. 

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कूनो नेशनल पार्क के अलावा ये नाम भी लिस्ट में
साल 2009 में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप में चीतों को भारत में वापस लाने की मांग तेज हुई, जिसमें देशभर की कुछ जगहों का नाम चिन्हित किया गया था, जो चीतों को रखने के लिए उपयुक्त हैं. गुरु घासीदास नेशनल पार्क छत्तीसगढ़, बन्नी ग्रासलैंड्स गुजरात, डुबरी वाइल्डलाइफ सेंचुरी, संजय नेशनल पार्क, बागडारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी, नॉराडेही वाइल्डलाइफ सेंचुरी और कूनो नेशनल पार्क मध्यप्रदेश, डेजर्ट नेशनल पार्क वाइल्डलाइफ सेंचुरी, शाहगढ़ ग्रासलैंड्स राजस्थान और कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी उत्तर प्रदेश. 

दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने की शुरू हुई प्रकिया
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नामीबिया के बाद अब अक्टूबर महीने में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को भारत लाया जाएगा, जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है. हालांकि इन्हें कहां लाया जाएगा इसकी पुष्टि नहीं हुई है. 

 

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