Cheetah: देश में 17 सितंबर को अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे. इस चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया. 74 साल बाद चीते भारत की धरती पर फिर से लौटे हैं. साल 1952 में देश में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था. चीतों के विलुप्त होने के बाद भारतीय Grassland Ecosystem पर भी असर हुआ है. इसलिए पीएम मोदी ने Grassland Ecosystem को बनाए रखने के लिए बाहर से इन चीतों के मंगवाया है.


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इन नामों से जाने जाएंगे चीते
बता दें कि अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए इन 8 चीतों के नाम सामने आए हैं. इनके नाम सावन्नाह, आशा, सिबली, ओबान, फ्रेडी, सैसा और साशा हैं. इनमें से एक मादा चीते का नाम पीएम मोदी ने रखा है. वहीं 7 चीतों के नाम नामीबिया में ही रखे गए थे. 17 सितंबर को पीएम मोदी के जन्मदिन के अवसर पर चीतों को नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क में लाया गया. इस दौरान पीएम मोदी ने खुद बाड़े का गेट खोलकर इन्हें छोड़ा. बता दें कि इन चीतों को खाने के लिए विशेष बाड़े में ही गोश्त दिया जा रहा है. फिलहाल पार्क प्रबंधन चीतों के आचरण और व्यवहार से पूरी तरह संतुष्ट हैं.


वहीं दूसरी जगह सिफ्ट होने के बाद चीते थोड़े से नर्वस दिखाई दिए, लेकिन उनका व्यवहार सामान्य और सकारात्मक दिखा. वहीं पार्क में चीतों के लिए विशेष बाड़ा बनाया गया है. वह उसमें घूम रहे हैं और सामान्य हैं. पार्क प्रबंधन ने बताया कि सभी चीतों के सभी वाइटल पैरामीटर सामान्य हैं. वहीं उन्होंने बताया कि सभी चीतें आराम से धूम-फिर रहे हैं और प्रयाप्त नींद ले रहे हैं.


क्यों चीते हैं इतने महत्वपूर्ण
बता दें कि चीता फूड चेन का सबसे शीर्ष जीव है. देश में चीता के विलुप्त होने का असर फूड चेन पर भी देखने को मिला. इस कारण सरकार ने प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत की और नामीबिया से 8 चीते भारत लाए गए. वहीं अब एक बार फिर से चीते फर्राटा भरते नजर आ रहे हैं. इनकी रखवाली के लिए आसपास के 90 गांवों के करीब 450 से लोगों को चीता मित्र बनाया गया है. इनका काम शिकारियों से चीतों की सुरक्षा करना है.


वहीं इन चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क में इसलिए छोड़ा गया है, क्योंकि यहां पर इंसानों की आबादी कम है. वहीं यहां पर नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, चीतल, सांभर, गोल्डेन सियार, बिल्ली, ग्रे लंगूर और लाल मुंह वाले बंदर जैसे जानवर हैं. ऐसे में चीतों को पर्याप्त शिकार मिल सकेगा. वहीं पार्क के बीच में कूनो नदी बहती है. कम ढाल वाली पहाड़ियां हैं. दक्षिण-पूर्वी इलाके में पन्ना टाइगर रिजर्व और शिवपुरी के जंगल हैं.